झारखंड में 150 नॉन बैंकिंग कंपनियों पर कार्रवाई…360 करोड़ रुपये की गड़बड़ी में संपत्ति होगी जब्त

Action taken against 150 non-banking companies in Jharkhand...Property will be confiscated for fraud of Rs 360 crore

झारखंड के 150 चिटफंड, नॉन बैंकिंग कंपनियों की मुसीबत बढ़ने वाली है. अब इन 150 कंपनियों की संपत्ति सरकार जब्त करने वाली है इसकी तैयारी कर ली गई है.बता दें इन नॉन बैंकिंग कंपनियों ने झारखंड के लोगों के 360 करोड़ रु. अब तक नहीं लौटाए हैं. इसलिए सरकार इनकी संपत्ति जब्त करने की तैयारी कर रही है.

क्या होती है नॉन बैकिंग कंपनियां

पहले आपको बता देते हैं नॉन बैंकिंग कंपनियां होती क्या है . दरअसल, नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां यानी एनबीएफसी ऐसी वित्तीय संस्थान हैं जो बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती हैं, लेकिन उनके पास पारंपरिक बैंकिंग लाइसेंस नहीं होता है. ये कंपनियां ऋण, अग्रिम, शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर और प्रतिभूतियों के अधिग्रहण जैसे काम करती हैं. एनबीएफसी को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विनियमित किया जाता है. 

झारखंड में 500 नॉन बैंकिंग कंपनियां हैं

बता दें झारखंड में करीब 500 नॉन बैंकिंग कंपनियां हैं. इनमें से 150 पर धोखाधड़ी और निवेशकों के पैसे न लौटाने का केस दर्ज है. राज्य में सीआईडी में 25 और सीबीआई में 124 केस दर्ज हैं. इनमें रांची में 97 और धनबाद में 27 मामले हैं. इन मामलों में सीबीआई 118 चार्जशीट दायर कर चुकी है. इसके बावजूद निवेशकों के पैसे वापस नहीं मिल रहे हैं. इसी को देखते हुए उच्चस्तरीय कमेटी ने संपत्ति जब्त करने का फैसला लिया है.

सीबीआई और सीआईडी में दर्ज हैं कई केस

राजस्व पर्षद सदस्य मस्तराम मीणा की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति ने सीबीआई और सीआईडी को उन कंपनियों की चल-अचल संपत्ति की सूची 22 अगस्त तक उपलब्ध कराने को कहा है, जिनके खिलाफ केस दर्ज है. अगली बैठक में प्रमंडलीय आयुक्तों को भी बुलाने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि प्रमंडलीय आयुक्त को भी ऐसे मामले में विशेष सुनवाई का अधिकार है. हाल ही में हुई बैठक में गृह विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, वित्त सचिव प्रशांत कुमार, सीबीआई के डीआईजी एमएस खान और सीआईडी के एसपी पूज्य प्रकाश शामिल थे.

सहारा ग्रुप का भी नाम है शामिल

झारखंड में सहारा ग्रुप के विभिन्न कंपनियों के स्वीकृत दावों में से 107 करोड़ का भुगतान जमाकर्ताओं को नहीं मिला है. कॉर्पोरेट मंत्रालय के सेंट्रल रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसाइटी ने 24 अप्रैल 2025 को राज्य सरकार को इस मामले में कदम उठाने का निर्देश दिया था. सहारा समूह द्वारा निवेशकों के साथ की गई धोखाधड़ी मामले में सीआईडी ने 10 एफआईआर दर्ज कर रखी है.इसमें 100 से अधिक आरोपी है.

सीबीआई ने एराइज कॉमट्रेड चेन मार्केटिंग, अनवेशा इंफ्रास्ट्रक्चर, और ओमिशा एग्रो इंडस्ट्रीज के खिलाफ भी धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया था. इस प्राथमिकी में 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था.

इसके अलावा तिरू बालाजी, अलकेमिस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर , धनुअल्टी डेवलपर्स , रुफर्स मार्केटिंग, रोजवैली होटल्स, संकल्प ग्रुप, विर्ड इंफ्रा, गीतांजली उद्योग, युगांतर रियलिटी, एटीएम ग्रुप, डीएनजे कोमोडिटीज, एराइज कॉमट्रेड, ओमिशा एग्रो और अन्य शामिल हैं.

पहले ही दिया गया था कुर्की जब्ती का आदेश

दो साल पहले शिकायत मिलने पर वित्त विभाग ने रांची व हजारीबाग के प्रमंडलीय आयुक्त, रांची-बोकारो के डीसी-एसपी और सेंट्रल व स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रारों को पैसे वापस दिलवाने के लिए पत्र लिखा गया था. सहारा को भी जरूरी कार्रवाई करने को कहा गया. लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. फिर राज्य सरकार ने ऐसे मामलों में प्रमंडलीय आयुक्त को सुनवाई का जिम्मा सौंपा. ऐसी कंपनी की सं​पत्ति जब्त करने के लिए अलग कोर्ट का भी प्रावधान किया गया. उसे कुर्की-जब्ती का भी अधिकार दिया गया. जांच करने वालों को स्पष्ट निर्देश था कि जो कंपनियां पैसे नहीं लौटा रही हैं, उसकी सूची बनाकर कार्रवाई करें. लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ.

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