भारत का ऐसा गाँव..जहाँ अफ्रीका बस गया…खाते हैं गुटका…धाकड़ हिंदी बोलते और स्थानीय संस्कृति में रच-बस गए लोग…

भारत की विविधता की मिसाल हर किसी को भाती है, लेकिन गुजरात के अहमदाबाद जिले का जंबूर गाँव इसे नई परिभाषा देता है। इस गाँव में कदम रखते ही ऐसा लगता है जैसे आप अफ्रीका में आ गए हों। यहाँ की आबादी का बड़ा हिस्सा अफ्रीकी मूल का है—नाइजीरिया, घाना, केन्या जैसे देशों से आए लोग।

लगभग 20-25 साल पहले यहाँ बसने आए ये लोग अब भारतीय जीवनशैली में पूरी तरह घुल-मिल गए हैं। गाँव की गलियों में काले चेहरे, अफ्रीकी स्टाइल के कपड़े और जोरदार हँसी-मजाक आपको चौंका सकते हैं, लेकिन इनकी हिंदी इतनी धाकड़ है कि कोई भी स्थानीय भी हैरान रह जाए।

जंबूर के लोग सुबह उठते ही चाय की चुस्की लेते हैं, गुटका चबाते हैं और पान की दुकान पर गपशप करते हैं—बिलकुल आम भारतीय की तरह। गाँव की अर्थव्यवस्था भी अनोखी है। यहाँ अधिकांश लोग छोटे व्यापार, कपड़े, मोबाइल एक्सेसरीज और इलेक्ट्रॉनिक्स में लगे हैं। कुछ लोग डायमंड पॉलिशिंग इंडस्ट्री में काम करते हैं। महिलाएँ घर संभालती हैं और बच्चे लोकल स्कूलों में पढ़ाई करते हैं, जहाँ हिंदी, गुजराती और अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं में महारत हासिल करते हैं।

गाँव में एक मंदिर है, जो स्थानीय और अफ्रीकन संस्कृति का मेल दर्शाता है। खास मौकों पर यहाँ अफ्रीकन कल्चर के लोकल डांस होते हैं, जिन्हें देखने लोग दूर-दूर से आते हैं।

जंबूर गाँव इस बात का प्रमाण है कि भारत में विविधता ही असली ताकत है—यहाँ अफ्रीकी मूल के लोग भी भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं और यह अनोखा मिलन हर आगंतुक को हैरान कर देता है।

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