मकर संक्रांति पर 30 साल बन रहा दुर्लभ संयोग, नौकरी से लेकर स्वास्थ्य तक पर पड़ेगा असर, इन समय का रखें खास ख्याल

A rare coincidence is happening every 30 years on Makar Sankranti, it will affect everything from job to health, take special care of these times.

Makar sankranti : साल 2025 में मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी यानि आज मनाया जा रहा है। 3 साल बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति पड़ रही है। वहीं इस बार मकर संक्रांति पर दुर्लभ संयोग होने जा रहा है। 19 साल बाद भौम पुष्य योग में मांगलिक कार्य भी शुरू होंगे। तीन साल बाद मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इससे पहले 2021 में 14 जनवरी और उसके बाद के वर्षों में 15 जनवरी को यह पर्व मनाया गया था।

Makar Sankranti 2025 इस बार संक्रांति का मुख्य वाहन बाघ और उप वाहन अश्व है। यही नहीं, 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य योग का संयोग भी बन रहा है। खंडवा में मां शीतला संस्कृत पाठशाला गुरुकुल के आचार्य अंकित मार्कण्डेय ने बताया इस बार मकर संक्रांति पर कई शुभ योग बन रहे हैं। सूर्य धनु से मकर राशि में सुबह 8.56 मिनट पर प्रवेश करेंगे।

 

Makar Sankranti 2025 प्रतिपदा तिथि का संयोग दिन भर है। मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा-उपासना कर सकते हैं। वहीं, पूजा के बाद दान करें।

 

Makar Sankranti 2025 माघ कृष्ण प्रतिपदा पर आनंदादि स्थिर, वर्धमान योग और पुष्य नक्षत्र भी रहेगा. ऐसे में लोग पवित्र मां नर्मदा, मां गंगा आदि नदियों में स्नान करेंगे। मंदिरों में गुरु, ब्राह्मण को तिल-गुड़, खिचड़ी, वस्त्र, कंबल आदि का दान-पुण्य करेंगे। सूर्य के उत्तरायण होते ही खरमास समाप्त होगा और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।

 

शिववास योग (Makar Sankranti 2025 Shivvas Yoga)

मकर संक्रांति पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग दिन भर है। इस योग का समापन देर रात 03 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी। सुबह 10 बजकर 18 मिनट से भौम पुष्य योग का संयोग बन रहा है। इससे पूर्व पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है। दशकों बाद मकर संक्रांति पर यह योग बना है। इस योग में सूर्य देव की साधना एवं उपासना करने से साधक को शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी। साथ ही जीवन में सुखों का संचार होगा। मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग बनने के चलते यह भौम पुष्य योग कहलाएगा।

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