मनरेगा मजदूरों के लिए नया फरमान! अब फोटो से होगी हाजिरी की जांच, गड़बड़ी की तो जाएगी नौकरी

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने मनरेगा (MGNREGA) के तहत चल रही गड़बड़ियों पर सख्त रुख अपनाते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। अब मनरेगा मजदूरों की हाजिरी सिर्फ नाम से नहीं, बल्कि तस्वीर से मिलेगी और उसकी जांच भी होगी।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पाया कि कई जिलों और प्रखंडों में एनएमएमएस (NMMS) ऐप के माध्यम से अपलोड की गई तस्वीरों में हेराफेरी हो रही है — जैसे कि पुरानी फोटो का दोबारा इस्तेमालअन्य तस्वीरों की अपलोडिंग और उपस्थिति में गड़बड़ी

अब क्या करना होगा मजदूरों को?

अब मनरेगा मजदूरों को अपने कार्यस्थल पर लाइव फोटो के जरिए हाजिरी देनी होगी, और उनकी तस्वीरें तीन स्तर पर जांची जाएंगी — पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर।

  • पंचायत स्तर: 100% तस्वीरों का सत्यापन

  • प्रखंड स्तर: 200 तस्वीरें या 20% की रैंडम जांच

  • जिला स्तर: 30 से 200 तस्वीरों तक की सैंपलिंग जांच

गलत फोटो अपलोड करने वालों की जाएगी नौकरी

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, जानबूझकर फर्जी फोटो या डेटा अपलोड करने वाले अधिकारियों और कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक जिले में एनएमएमएस निगरानी प्रकोष्ठ बनाए जाएंगे जो रोजाना अपलोड की गई तस्वीरों की जांच करेंगे।

पुरानी तस्वीरें कहां रहेंगी?

अपलोड की गई सभी तस्वीरों को डाउनलोड कर जिला स्तर पर हार्ड डिस्क में सेव करना अनिवार्य कर दिया गया है।
ये तस्वीरें कम से कम एक वर्ष तक रखी जाएंगी, ताकि कभी भी सोशल ऑडिट या सरकारी निरीक्षण में उनका उपयोग किया जा सके।

गड़बड़ियों की पूरी लिस्ट आई सामने:

  1. फर्जी या अप्रासंगिक तस्वीरों का अपलोड

  2. लाइव फोटो की जगह स्क्रीनशॉट या दूसरी फोटो का उपयोग

  3. तस्वीर और उपस्थिति में मजदूरों की संख्या का अंतर

  4. महिला-पुरुष मजदूरों के अनुपात में असमानता

  5. एक ही फोटो का अलग-अलग मस्टर रोल में इस्तेमाल

  6. सुबह और दोपहर की तस्वीरों में मजदूरों की गिनती का बेमेल

  7. दोपहर के फोटो का अपलोड न होना

सरकार का संदेश साफ है – मनरेगा में अब पारदर्शिता से ही मिलेगा पैसा।

यह फैसला मजदूरों को सीधा फायदा तो देगा, लेकिन साथ ही सिस्टम में लापरवाही या भ्रष्टाचार के लिए अब कोई जगह नहीं बचेगी।

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