जमशेदपुर : टाटा स्टील की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ: भारतीय इस्पात उद्योग को मिली नई दिशा”
"100th anniversary of the establishment of Tata Steel: Indian steel industry gets a new direction"

जमशेदपुर : भारत के औद्योगिक इतिहास में टाटा स्टील (Tata Steel) की स्थापना एक मील का पत्थर साबित हुई। इस कहानी की शुरुआत तब हुई, जब प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक पी. एन. बोस (P. N. Bose) ने मयूरभंज की गोरुमहिषाणि पहाड़ियों (Gorumahisani Hills) में उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क (Iron Ore) का विशाल भंडार खोजा।
इस खोज ने भारतीय उद्योग जगत की दिशा ही बदल दी।पी. एन. बोस का ऐतिहासिक पत्र24 फरवरी 1904 को पीएन (प्रमथ नाथ) बोस ने जेएन टाटा (J. N. Tata) को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने मयूरभंज में मिले बेहतरीन लौह अयस्क और झरिया के प्रचुर कोयला भंडार (Coal Reserves) के बारे में बताया।
यह जानकारी टाटा समूह के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुई, क्योंकि वे उस समय स्टील प्लांट (Steel Plant) लगाने की योजना बना रहे थे, लेकिन उन्हें कच्चे माल की समस्या का सामना करना पड़ रहा था।
मध्य प्रांत में असफल खोज, फिर मिली सही दिशा
टाटा समूह पहले मध्य प्रांत (Central Provinces) के चंदा जिले (Chanda District) में उपयुक्त लौह अयस्क की तलाश कर रहा था। वहां लोहारा (Lohara) में लौह अयस्क और वरौरा (Varora) में कोयला मिला, लेकिन यह इस्पात निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं था। दोराबजी टाटा (Dorabji Tata) ने नागपुर में धल्ली-राजहरा के लौह अयस्क भंडार की जानकारी भी प्राप्त की, लेकिन वहां कोकिंग कोल और पानी की कमी थी, जिससे स्टील उत्पादन असंभव हो गया।टिस्को की स्थापना : भारत में स्टील उत्पादन की शुरुआतपीएन बोस के पत्र से टाटा समूह को एक नई दिशा मिली और साकची (Sakchi) में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO – Tata Iron and Steel Company) की स्थापना का रास्ता साफ हुआ।
महत्वपूर्ण पड़ाव
1906 : ब्रिटिश सरकार ने टाटा समूह को स्टील प्लांट लगाने में सहयोग देने का आश्वासन दिया।
26 अगस्त 1907 : टाटा स्टील (TISCO) की औपचारिक रूप से 2.31 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ स्थापना हुई।
1908 : टाटा स्टील प्लांट का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
16 फरवरी 1912 : भारत में पहली बार टाटा स्टील का उत्पादन आधिकारिक रूप से प्रारंभ हुआ।
पीएन बोस का पत्र : भारतीय इस्पात उद्योग की बुनियादपीएन बोस द्वारा लिखा गया यह पत्र सिर्फ एक साधारण चिट्ठी नहीं थी, बल्कि यह भारतीय इस्पात उद्योग की नींव का पत्थर साबित हुआ। इसने भारत को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर किया और टाटा स्टील ने देश की औद्योगिक क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह ऐतिहासिक घटना दर्शाती है कि सही समय पर दी गई सही जानकारी कितनी बड़ी क्रांति ला सकती है।









