Uber: उम्मीद से मनमानी तक का सफर! क्या अब यह भी पारंपरिक टैक्सी जैसा हो गया?

आज के दौर में सोशल मीडिया पर रोज़ाना हजारों पोस्ट और वीडियो वायरल होते हैं। कुछ पोस्ट मनोरंजन का जरिया होती हैं, तो कुछ हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं। हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एक यूजर ने Uber की बढ़ती कीमतों और गिरती सर्विस पर सवाल उठाए हैं। इस यूजर का कहना है कि कभी Uber एक नई उम्मीद थी, लेकिन अब यह भी दूसरी टैक्सी सेवाओं की तरह महंगा और अनियमित हो गया है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले को विस्तार से।
Uber की सर्विस पर सवाल
एक समय था जब पारंपरिक टैक्सियों की मनमानी और खराब सेवा से लोग परेशान थे। ऐसे में Uber एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में सामने आया। इसकी किफायती दरें, बेहतर सुविधा और तकनीक आधारित सर्विस ने इसे लोगों की पहली पसंद बना दिया। लेकिन समय के साथ, Uber भी उसी राह पर चल पड़ा, जिससे बचने के लिए लोगों ने इसे अपनाया था।
क्या बढ़ रही हैं परेशानियां?
शुरुआत में Uber ने कम किराए और आकर्षक ऑफर्स के जरिए बाजार में अपनी जगह बनाई। लेकिन जब इसका एकाधिकार (monopoly) स्थापित हो गया और विकल्प सीमित हो गए, तो यात्रियों की परेशानियां बढ़ने लगीं। पहले जहां कम कीमतों में सफर करना आसान था, वहीं अब किराए धीरे-धीरे बढ़ा दिए गए। कारण बताया गया कि उपभोक्ता सुविधा के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं।
इसके अलावा, Uber ने कैब सर्विस को कई कैटेगरी में बांट दिया, ठीक वैसे ही जैसे हवाई जहाजों में अलग-अलग क्लास होते हैं। अब अगर आपको बेहतर सेवा चाहिए, तो ज्यादा पैसे देने होंगे।
टिप और सर्ज प्राइसिंग का दबाव
अब महज किराया देना ही काफी नहीं है, बल्कि ड्राइवर को टिप देने का भी दबाव बनाया जा रहा है। यदि आप समय पर आने वाली और साफ-सुथरी कैब चाहते हैं, तो अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
इसके अलावा, Uber की ‘सर्ज प्राइसिंग’ पॉलिसी के तहत मांग बढ़ने पर किराए को कई गुना तक बढ़ा दिया जाता है। एक ही रूट पर यात्रा करने वाले अलग-अलग लोगों से अलग-अलग किराया वसूला जाता है। दिलचस्प बात यह है कि Uber यह तय करने के लिए यूजर की फोन बैटरी, उसका फोन मॉडल और उसकी बुकिंग हिस्ट्री का उपयोग करता है। जब इस पर सवाल उठाए जाते हैं, तो इसका दोष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर मढ़ दिया जाता है।
क्या अब Uber भी बन गया है मनमानी करने वाला प्लेटफॉर्म?
जब Uber की शुरुआत हुई थी, तब यह टैक्सी कंपनियों की मनमानी और ग्राहकों के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार का विकल्प था। लेकिन अब जब Uber खुद एक विशाल ब्रांड बन चुका है, तो उसी मनमानी का हिस्सा बन गया है। मनमाने किराए, पारदर्शिता की कमी और उपभोक्ताओं की मजबूरी का फायदा उठाने जैसी चीजें अब आम हो गई हैं।
आपकी क्या राय है?
क्या आपने भी Uber की बढ़ती कीमतों और घटती सेवाओं का सामना किया है?
- हां, अब यह महंगा और अनियमित हो गया है।
- नहीं, मुझे अब भी इसकी सेवा पसंद है।
- मुझे इसमें कोई बदलाव नजर नहीं आता।
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