बड़ी ख़बर: अंतिम संस्कार को लेकर ऐतिहासिक बदलाव! अब लकड़ी नहीं, गोबर के उपलों से जलेगी चिता — पीछे की वजह जानकर चौंक जाएंगे

नई दिल्ली।
राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सख्ती से लगाम लगाने के लिए रेखा सरकार और दिल्ली नगर निगम (MCD) ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने सबका ध्यान खींच लिया है। अब दिल्ली के श्मशान घाटों में दाह संस्कार की परंपरा में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। आने वाले समय में लकड़ियों की जगह गाय के गोबर से बने उपलों से चिता जलाने की व्यवस्था लागू की जाएगी।

नगर निगम का मानना है कि यह कदम न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम साबित होगा, बल्कि पारंपरिक और स्वच्छ प्रक्रिया को भी बढ़ावा देगा। इस फैसले के बाद राजधानी के श्मशान घाटों की कार्यप्रणाली पूरी तरह बदलती नजर आएगी।

MCD के श्मशान घाटों में लागू होगी नई व्यवस्था

दिल्ली नगर निगम ने निर्णय लिया है कि MCD के प्रमुख श्मशान घाटों में दाह संस्कार के लिए लकड़ी की जगह गोबर के उपलों का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाएगा। संबंधित विभागों को निर्देश दे दिए गए हैं कि उपलों की पर्याप्त उपलब्धता और नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। निगम का दावा है कि इससे हवा में फैलने वाले प्रदूषक तत्वों में बड़ी कमी आएगी।

लकड़ी जलने से बढ़ता है ज़हर

विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली में हर साल सैकड़ों दाह संस्कार होते हैं, जिनमें एक शव के लिए औसतन 500 से 700 किलो लकड़ी खर्च होती है। इतनी भारी मात्रा में लकड़ी जलने से कार्बन उत्सर्जन और धुएं की समस्या गंभीर हो जाती है। निगम को उम्मीद है कि गोबर के उपलों के उपयोग से न केवल लकड़ी की खपत घटेगी, बल्कि वायु गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में लिया गया बड़ा निर्णय

एयर पॉल्यूशन को लेकर आयोजित उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता स्टैंडिंग कमेटी की चेयरपर्सन सत्या शर्मा ने की। बैठक में पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट को साफ निर्देश दिए गए कि भविष्य में उन्हीं एजेंसियों को श्मशान घाट संचालन की अनुमति बढ़ाई जाए, जो दाह संस्कार में गोबर के उपलों का इस्तेमाल करेंगी। यह शर्त आगे चलकर पूरी तरह अनिवार्य की जाएगी।

परंपरा और पर्यावरण दोनों का संगम

सत्या शर्मा ने कहा कि गोबर के उपले भारतीय परंपरा का अहम हिस्सा रहे हैं और यह पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित विकल्प हैं। उन्होंने निगम से अपील की कि उपलों को लकड़ी के लट्ठों के आकार में ढालने के लिए आधुनिक मशीनें लगाई जाएं, ताकि श्मशान घाटों को निर्बाध आपूर्ति मिल सके।

कुछ श्मशान घाटों में पहले से हो रहा प्रयोग

पंचकुइंया रोड और निगम बोध श्मशान घाटों में पहले से ही लकड़ी की खपत कम करने के लिए गोबर के उपलों का आंशिक उपयोग किया जा रहा है। हालांकि अभी तक पूरी तरह केवल उपलों से दाह संस्कार की व्यवस्था लागू नहीं की गई है। फिलहाल लकड़ी और उपलों को मिलाकर इस्तेमाल किया जा रहा है।

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