शिक्षकों के ई-अटेंडेंस पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, शिक्षकों ने नेटवर्क प्राब्लम, सर्वर बिजी और मोबाइल एप में गड़बड़ी को दी थी चुनौती, हाईकोर्ट ने कहा, ये याचिका ….
The High Court took a major decision on the teachers' e-attendance system. The teachers had challenged network issues, busy servers, and glitches in the mobile app. The High Court said, this petition...

School Teacher News: हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में ई-अटेंडेंस अनिवार्य करने के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। शिक्षकों की ओर से नेटवर्क समस्या, तकनीकी दिक्कतें और मोबाइल ऐप में खराबी के आधार पर आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे हस्तक्षेप योग्य कारण नहीं माना। याचिकाकर्ताओं ने बाद में याचिका वापस ले ली।
पूरा मामला मध्यप्रदेश का है, जहां सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस अनिवार्य करने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया था। शिक्षकों ने अलग-अलग कारण बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस निर्णय पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। लिहाजा सरकार का फैसला अब न्यायिक मुहर के साथ और सशक्त हो गया है।
दरअसल जबलपुर हाईकोर्ट ने सोमवार को इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए सरकारी आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिका में प्रस्तुत आधार ई-अटेंडेंस सिस्टम को चुनौती देने के लिए पर्याप्त और वैध नहीं हैं।
राज्य सरकार ने 20 जून 2025 को आदेश जारी कर सभी सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए मोबाइल ऐप के माध्यम से ई-अटेंडेंस दर्ज करना अनिवार्य किया था। इस प्रणाली का उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति में पारदर्शिता, जवाबदेही और डिजिटल मॉनिटरिंग सुनिश्चित करना है।
क्या थी याचिका में दलीलें?
जबलपुर निवासी मुकेश सिंह वरकड़े सहित राज्य के विभिन्न जिलों के 27 शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने दलील दी कि ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या के कारण शिक्षकों को ई-अटेंडेंस दर्ज करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई शिक्षकों के पास उच्च गुणवत्ता वाला स्मार्टफोन नहीं है, लगातार डेटा पैक रिचार्ज कराना आर्थिक बोझ है और कई स्कूल भवनों में नेटवर्क उपलब्ध नहीं रहता।
याचिका में यह भी कहा गया था कि ऐप में तकनीकी खामियां, सर्वर समस्या, चेहरा मिलान (फेस मैचिंग) में त्रुटियां और बार-बार लॉगिन फेल होने जैसी परेशानियां प्रणाली को अव्यवहारिक बनाती हैं। शिक्षकों की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था की मांग करते हुए कहा गया कि या तो पहले की तरह कर्मचारी रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति दी जाए या फिर बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से उपस्थिति ली जाए।
कोर्ट का रुख और याचिका की वापसी
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ई-अटेंडेंस व्यवस्था के मूल उद्देश्य या कानूनी वैधता पर सवाल नहीं उठा पा रहे थे, बल्कि केवल तकनीकी दिक्कतों का हवाला दिया जा रहा था। कोर्ट ने कहा कि ये समस्याएं नीतिगत हस्तक्षेप के योग्य कारण नहीं हैं, बल्कि इन्हें प्रशासनिक स्तर पर समाधान योग्य मुद्दों के रूप में देखा जाना चाहिए।
इस पर बेंच ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने स्वयं ही याचिका वापस लेने का निर्णय लिया। इससे पूर्व पिछले गुरुवार को भी इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई की गई थी और कोर्ट ने दोनों पक्षों को रिकॉर्ड सहित जवाब दाखिल करने को कहा था।








