अनिल अंबानी पर ED का ताबड़तोड़ एक्शन…3000 करोड़ की संपत्तियां कुर्क…खौफ में कारोबारी गलियारे…

मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ा धमाका — रिलायंस ग्रुप पर शिकंजा कसता गया, ED की जांच से हिली कॉर्पोरेट दुनिया

मुंबई। देश के चर्चित उद्योगपति अनिल अंबानी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कस गया है। एजेंसी ने उनके रिलायंस ग्रुप की लगभग ₹3,000 करोड़ की संपत्तियों को कुर्क कर लिया है। यह कार्रवाई उस मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जुड़ी है जो कर्ज धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर चल रही है।

रविवार को सूत्रों ने पुष्टि की कि यह कुर्की धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह सिर्फ शुरुआती कार्रवाई है, आगे और खुलासे हो सकते हैं।”

रिलायंस ग्रुप ने किया इनकार — कहा, ‘सब आरोप काल्पनिक’

रिलायंस ग्रुप की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, हालांकि कंपनी ने पहले ही इन आरोपों को “झूठा और बेबुनियाद” बताया था।
1 अक्टूबर को ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ को भेजे गए ईमेल बयान में कंपनी ने कहा था —

“₹17,000 करोड़ की बताई गई राशि और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंध केवल काल्पनिक बातें हैं। कंपनी बैंक और वित्तीय संस्थानों के कर्ज से मुक्त है और अपने बिजनेस प्लान को लागू करने पर केंद्रित है।”

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून 2025 तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का नेट वर्थ ₹14,883 करोड़ रुपये बताया गया है।

ED और CBI दोनों की नजर में अनिल अंबानी

मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ED के साथ-साथ CBI भी जांच में सक्रिय है।
जांच एजेंसियां अनिल अंबानी की कई ग्रुप कंपनियों के वित्तीय लेनदेन और कथित अनियमितताओं की पड़ताल कर रही हैं, जिनकी कुल राशि ₹17,000 करोड़ से अधिक बताई जा रही है।

इस साल अगस्त में ED ने अनिल अंबानी से पूछताछ भी की थी।
CBI ने पहले ही यस बैंक, राणा कपूर के रिश्तेदारों की कंपनियों और रिलायंस ग्रुप से जुड़े कुछ मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है।

कॉर्पोरेट जगत में हलचल — “क्या दोबारा संकट में हैं अंबानी?”

ED की कार्रवाई के बाद कारोबारी गलियारों में चर्चा तेज है कि अनिल अंबानी के वित्तीय साम्राज्य पर फिर से संकट के बादल मंडरा रहे हैं
हालांकि, जानकारों का कहना है कि जांच लंबी खिंच सकती है और फिलहाल यह “प्रारंभिक कुर्की” है।

वित्तीय मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला केवल एक कारोबारी विवाद नहीं, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता की नई परीक्षा है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि ED की अगली चाल क्या होगी — क्या ये कुर्की स्थायी होगी या राहत की कोई राह निकलेगी?

Related Articles