Diwali 2025: दिवाली पर क्यों बनाई जाती है सूरन की सब्जी, जानें इसके पीछे की खास वजह
सूरन: परंपरा, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक

सूरन: परंपरा, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक
दीपावली केवल रोशनी और मिठाइयों का त्योहार नहीं है, बल्कि इसमें हमारी पुरानी परंपराओं और मान्याओं का भी बड़ा महत्व है। इसी कड़ी में सूरन (ओल/जिमीकंद) की सब्जी बनाना एक खास परंपरा है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीके से पकाया जाता है, लेकिन इसका महत्व लगभग हर जगह समान है।
दिवाली पर सूरन क्यों खाया जाता है?
सूरन एक जड़ वाली सब्जी है, जो जमीन के भीतर खुद ही उगती है। कहा जाता है कि इसकी जड़ को जितनी बार काटो, यह फिर से उग जाती है। इसी वजह से इसे स्थिरता, सुख-शांति और संपदा का प्रतीक माना जाता है। परंपरा के अनुसार दिवाली पर सूरन खाने से जीवन में मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद मिलता है। कुछ लोककथाओं में यह भी कहा जाता है कि दिवाली पर सूरन न खाने पर व्यक्ति अगले जन्म में छोटे जीव के रूप में जन्म ले सकता है, लेकिन यह केवल मान्यता है।
सूरन खाने के फायदे
इम्यूनिटी बढ़ाता है: सूरन में मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
पाचन और त्वचा के लिए अच्छा: यह पाचन तंत्र को सुधारता है और त्वचा को स्वस्थ बनाता है।
वजन नियंत्रित करने में सहायक: इसे संतुलित आहार में शामिल करने से वजन नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
दिवाली पर सूरन क्यों शुभ माना जाता है?
सूरन कभी खराब नहीं होता और लगातार फल देता है। इसे स्थिरता और प्रगति का प्रतीक माना जाता है। दिवाली के दिन इसे खाने से खुशहाली और तरक्की बनी रहती है।
सूरन की सब्जी बनाने का तरीका
सूरन को उबालकर काटें ताकि गले में खुजली कम हो।
तेल में हल्का भूनें।
प्याज और टमाटर की टेस्टी ग्रेवी बनाकर उसमें सूरन डालें।
थोड़ा पानी डालकर धीमी आंच पर पकाएं।
अंत में नींबू का रस डालें ताकि स्वाद बढ़े और खुजली कम हो।
पराठे या पूरी के साथ सर्व करें।
दिवाली पर सूरन की सब्जी सिर्फ स्वादिष्ट व्यंजन नहीं है, बल्कि यह परंपरा, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक भी है। इस दिवाली अपने घर में सूरन की सब्जी बनाएं और मां लक्ष्मी के आशीर्वाद के साथ खुशियों और तरक्की का स्वागत करें।