चुनाव में हो गया बड़का खेला, नामांकन के लिए निकला प्रत्याशी बीच रास्ते से लापता, आनन-फानन में दूसरा प्रत्याशी उतारा, उसका भी नामांकन हो गया रद्द
A major scandal erupted during the election, as a candidate who had gone to file his nomination disappeared midway. A second candidate was hastily fielded, but his nomination was also cancelled.

Election News : चुनाव की सरगर्मियां तेज है, इस बीच अजब-गजब चुनावी खेल सामने आ रहा है। नामांकन के लिए निकला एक प्रत्याशी बीच रास्ते से ही गायब हो गया। आनन-फानन में पार्टी ने दूसरे प्रत्याशी को उतारा, लेकिन उनका भी नामांकन रद्द हो गया। अब पार्टी चुनाव में बिना प्रत्याशी के हो गयी है। मामला बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ा है।
जहां पहले फेज के नामांकन के आखिरी दिन गजब का खेला देखने को मिला। दानापुर से जनसुराज के प्रत्याशी अखिलेश कुमार अचानक गायब हो गए। समर्थकों का कहना है कि उनका अपहरण किया गया है। उनकी अचानक अनुपस्थिति से क्षेत्र में हड़कंप मच गया और पार्टी ने आनन-फानन में नया प्रत्याशी खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन दस्तावेजों में त्रुटि के कारण वह भी नामांकन नहीं कर सका।
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश कुमार सुबह 10:30 बजे अपने कुछ सहयोगियों के साथ राजवंशी नगर महावीर मंदिर में पूजा करने के लिए निकले थे। मंदिर में पूजा के बाद उनका पता नहीं चला। समर्थक उन्हें तलाशते रहे और कम्युनिटी हॉल में उनका इंतजार करते रहे, लेकिन वे वहां नहीं पहुंचे। उनके मोबाइल भी बंद हैं।
पार्टी ने भी स्थिति की जानकारी पाते ही वॉट्सऐप के माध्यम से समर्थकों को सूचना दी कि उनके प्रत्याशी अचानक गायब हो गए हैं और उनके अपहरण की आशंका जताई गई है। समर्थकों ने फूलों से सजी गाड़ी और आसपास के इलाके में खोजबीन की, लेकिन अखिलेश कुमार का कोई पता नहीं चला।
अचानक हुई इस घटना के कारण पार्टी को जल्दबाजी में नया प्रत्याशी खड़ा करना पड़ा। जनसुराज ने बीजेपी से आशा सिन्हा को दानापुर से पर्चा भरने के लिए भेजा। लेकिन दस्तावेजों में त्रुटि के कारण उनका नामांकन भी रद्द कर दिया गया।
घटना के पीछे की वजह को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ सूत्रों का दावा है कि अखिलेश कुमार को बीजेपी से MLC बनाने का प्रस्ताव मिला है, जिसके चलते उन्होंने मैदान छोड़ दिया। वहीं, दानापुर नगर परिषद उपाध्यक्ष और वैश्य समाज के नेता राजनाथ उर्फ राजू जायसवाल ने कहा कि अखिलेश कुमार ने अपने निजी लाभ के लिए समाज और पार्टी की मेहनत को कलंकित किया है। उन्होंने कहा, “पूरे वैश्य समाज ने एकजुट होकर उन्हें चुनाव में खड़ा किया था, लेकिन उनका यह कदम पूरी तरह गलत और अपमानजनक है।”
समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा और आक्रोश है। कई समर्थक हॉल में जुटे हुए थे और अखिलेश के आने का इंतजार कर रहे थे। उनकी अचानक अनुपस्थिति ने चुनावी प्रक्रिया और पार्टी की रणनीति पर भी असर डाला है।
इस बीच, प्रशासन और पुलिस भी मामले पर सतर्क हो गई है। हालांकि फिलहाल अखिलेश कुमार के संपर्क में होने की जानकारी मिली है, परंतु वे अभी तक वापस नहीं लौटे हैं। राजनीतिक गलियारों में उनके गायब होने को लेकर चर्चा जारी है और यह मामला चुनावी मैदान में नया तनाव पैदा कर सकता है।