AI से बढ़ रही बेईमानी! ChatGPT जैसे टूल्स कर रहे इंसानों की सोच पर असर…रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा…

AI टूल्स पर नया खतरा: ChatGPT जैसे सिस्टम इंसानों को बना सकते हैं 'बेईमान', रिसर्च में सामने आया सच

दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की लहर छाई हुई है। आम लोग हों या बड़ी कंपनियां — सभी अपने रोज़मर्रा के कामों में अब ChatGPT जैसे AI टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन, एक नई रिसर्च ने अब एक चौंकाने वाली सच्चाई उजागर की है।

प्रसिद्ध ‘नेचर’ (Nature) पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, AI टूल्स का अधिक उपयोग इंसानों को धीरे-धीरे बेईमान बना सकता है।

किस बात की हुई थी रिसर्च?

रिसर्च का उद्देश्य यह जानना था कि जब लोग अपने व्यक्तिगत या ऑफिस के काम AI टूल्स से करवाते हैं, तो इसका उनके नैतिक व्यवहार और सोच पर क्या असर पड़ता है।
नतीजा बेहद हैरान करने वाला था —
लोगों के लिए अपने लिए किसी मशीन को झूठ बोलने या धोखा देने को कहना आसान हो गया है, क्योंकि मशीनों में भावनात्मक या नैतिक रुकावटें (psychological barriers) नहीं होतीं।

रिसर्च के नतीजे ने सोचने पर किया मजबूर

रिसर्चर्स ने बताया कि जब कोई व्यक्ति AI की मदद से झूठ बोलता है या गलत जानकारी देता है, तो वह खुद को दोषी महसूस नहीं करता
AI हर बार बिना झिझक के कोई भी काम कर देता है — चाहे वह सही हो या गलत
यही कारण है कि AI के बढ़ते इस्तेमाल के साथ लोगों में अनैतिक व्यवहार (unethical behavior) की प्रवृत्ति भी बढ़ सकती है।

रिसर्च में यह भी कहा गया है कि यह बदलाव किसी बुरी नीयत से नहीं, बल्कि नैतिकता की संवेदनशीलता घटने की वजह से हो रहा है। लोग अब मशीनों से झूठ बोलवाने में कोई अपराधबोध महसूस नहीं करते — क्योंकि उन्हें लगता है कि “गलती इंसान नहीं, मशीन की है।”

क्यों ज़रूरी है सावधानी?

AI टूल्स अब हर किसी की पहुंच में हैं। ऐसे में, अगर इनका इस्तेमाल बिना सोच-समझ के किया गया, तो यह इंसानों के नैतिक और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि AI का उपयोग केवल सुविधा के लिए करें, निर्णय लेने या नैतिक कार्यों के लिए उस पर निर्भर न रहें।

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