16 मासूमों की मौत….मगर सजा सिर्फ दो को….जहरीले सिरप कांड में कौन छुपा रहा है सच्चाई?
छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड: 16 बच्चों की मौत के बाद भी कार्रवाई पर सवाल, जनता मांग रही जवाब

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिले में जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ से हुई 16 मासूम बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस भयावह घटना में सिर्फ दो जिम्मेदारों—श्रीसन फार्मा कंपनी और डॉ. प्रवीण सोनी—के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज हुई है।
डॉ. सोनी को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है, मगर सिस्टम के बाकी हिस्से पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री की ओर से मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है, लेकिन सवाल ये है कि कार्रवाई में पूरे 42 दिन क्यों लग गए?
जनता का गुस्सा फूटा, उठ रहे हैं गंभीर सवाल
प्रदेश की जनता अब खुलकर सवाल उठा रही है —
जहरीला सिरप मेडिकल स्टोर्स तक कैसे पहुंच गया?
सैंपल की जांच एक हफ्ते तक क्यों टाली गई?
क्या जिम्मेदारों को बचाने की कोशिश की जा रही है?
विभागीय मंत्री और राज्यमंत्री पीड़ितों से मिलने क्यों नहीं पहुंचे?
इन सवालों का अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है, जिससे जनाक्रोश लगातार बढ़ रहा है।
सीडीएससीओ ने शुरू की जांच, लेकिन भरोसा नहीं
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने अब छह राज्यों में जोखिम-आधारित निरीक्षण शुरू कर दिया है। जांच टीमों ने विनिर्माण इकाइयों से कफ सिरप और अन्य दवाओं के 19 सैंपल लिए हैं।
फिर भी जनता का भरोसा टूटता जा रहा है — क्योंकि जिस सिस्टम की लापरवाही से इतने घर उजड़ गए, वही अब जांच की कमान संभाले बैठा है।
मासूमों की मौत ने तोड़ा परिवारों का दिल
योजिता ठाकरे, कबीर यादव, और गर्भित धुर्वे जैसे मासूम बच्चों की मौत ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। परिजनों ने न्याय की मांग में योजिता का शव दोबारा पोस्टमार्टम के लिए निकलवाया, ताकि सच सामने आ सके।
लोग अब पूछ रहे हैं —
क्या 16 बच्चों की मौत के बाद भी जिम्मेदारों को बचाया जा रहा है,
या कोई बड़ी सच्चाई अब भी दबाई जा रही है?