“पति को चूहा कहना मानसिक क्रूरता” हाईकोर्ट ने कर दी पत्नी की याचिका खारिज, लाइब्रेरियन पत्नी और क्लर्क पति के रिश्तों पर कोर्ट ने की टिप्पणी…

Highcourt News : पति पत्नी के रिश्तों से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि पति को पालतू चूहा कहना मानसिक प्रताड़ना है। अदालत ने साफ कहा कि पति को ‘पालतू चूहा’ कहना और उसे माता-पिता से अलग रहने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। पूरा मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का है, जहां उच्च न्यायालय ने रायपुर की फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए तलाक को सही ठहराया और पत्नी की अपील खारिज कर दी।
2009 में हुई थी शादी, 2010 से बिगड़ने लगे रिश्ते
दरअसल यह मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक दंपती से जुड़ा है, जिनकी शादी 28 जून 2009 को हुई थी। 5 जून 2010 को उनका एक बेटा हुआ। लेकिन कुछ ही समय बाद वैवाहिक जीवन में दरार आने लगी। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी लगातार उससे अपने माता-पिता से अलग होने की जिद करती थी। इतना ही नहीं, जब वह इनकार करता तो पत्नी उसे बार-बार ‘पालतू चूहा’ कहकर अपमानित करती थी।
पति का कहना था कि पत्नी न केवल मानसिक रूप से प्रताड़ित करती थी, बल्कि उसने शारीरिक नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश की। यहां तक कि पत्नी ने गर्भपात कराने का भी प्रयास किया। 24 अगस्त 2010 को तीजा के मौके पर वह मायके चली गई और फिर कभी वापस नहीं लौटी।
फैमिली कोर्ट से हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
पति ने 2019 में रायपुर फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की। अदालत ने पति के आरोपों को सही मानते हुए 23 अगस्त 2019 को तलाक का आदेश दे दिया। इस फैसले को पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एक टेक्स्ट मैसेज को अहम सबूत माना, जो पत्नी ने पति को भेजा था। उसमें साफ लिखा था— “अगर तुम अपने माता-पिता को छोड़कर मेरे साथ रहना चाहते हो तो जवाब दो, वरना मत पूछो।” पत्नी ने अदालत में इस मैसेज को भेजने की बात स्वीकार भी की और यह भी माना कि अगस्त 2010 के बाद वह ससुराल नहीं लौटी।
“संयुक्त परिवार से अलग करने की जिद मानसिक क्रूरता”
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि भारतीय समाज में संयुक्त परिवार की परंपरा गहराई से जुड़ी हुई है। ऐसे में पति को माता-पिता से अलग करने की जिद मानसिक क्रूरता है। साथ ही, पति को लगातार अपमानजनक भाषा में ‘पालतू चूहा’ कहना वैवाहिक जीवन की नींव को तोड़ता है।
गुजारा भत्ता और बेटे की परवरिश का आदेश
अदालत ने फैसले में बेटे की परवरिश के लिए पति को हर महीने 6 हजार रुपये देने का आदेश दिया है। वहीं पत्नी को 5 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता भी मिलेगा। अदालत ने यह भी माना कि पत्नी लाइब्रेरियन के पद पर कार्यरत है, जबकि पति छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक में अकाउंटेंट है।