झारखंड के चर्चित IAS विनय कुमार चौबे की मुश्किलें बढ़ीं…भ्रष्टाचार के एक और केस में हुई कार्रवाई, जानिए क्या है पूरा मामला और आगे क्या हो सकता है
Trouble mounts for Jharkhand's renowned IAS officer, Vinay Kumar Choubey, in yet another corruption case. Find out the full story and what lies ahead.

झारखंड के चर्चित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. दरअसल, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक और केस दर्ज हो गया है. अब एसीबी ने आईएएस विनय कुमार चौबे के खिलाफ हजारीबाग जिले में गैर मजरुआ खास जंगल प्रकृति की जमीन में घोटाले का केस दर्ज किया है. बताया जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय और हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत यह जमीन संरक्षित वनक्षेत्र मानी जाती है.
2 साल पहले तक एक प्रभावशाली प्रशासनिक अधिकारी की हैसियत रखने वाले आईएएस विनय चौबे पर गंभीर अनियमितता की शिकायत सामने आई और एसीबी ने विभिन्न मामलों में उनके खिलाफ केस दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी है.
संरक्षित वनक्षेत्र की जमीन का किया घोटाला
हजारीबाग मामले में आईएएस विनय कुमार चौबे पर यह आरोप लगा है कि संरक्षित वनक्षेत्र की जमीन विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर अवैध रूप से दाखिल-खारिज की गई. विनय कुमार चौबे के हजारीबाग डीसी रहते यह कथित घोटाला हुआ था. करोड़ों रुपये की जमीन के सरकारी बंटरबांट में कथित लाभार्थी विनय कुमार सिंह के भी मिलीभगत की पुष्टि हुई थी. विनय कुमार सिंह नेक्सजेन ऑटोमोबाइल के मालिक हैं.
ट्रस्ट की जमीन को सरकारी बताकर बंदरबांट किया
हजारीबाग के तात्कालीन डीसी विनय कुमार चौबे के खिलाफ एक और केस दर्ज किया गया है. यह केस हजारीबाग में 2.75 एकड़ खासमहाल भूमि से संबंधित है जिसे वर्ष 1948 में 30 साल के लिए सेवायत ट्रस्ट को लीज पर दिया गया था. 1978 में लीज खत्म हो गई औरर 2008 तक उसका नवीनीकरण किया गया. आरोप है कि वर्ष 2008-10 के बीच प्रशासनिक अधिकारियों ने षड्यंत्र के तहत इसे सरकारी भूमि घोषित करके 23 व्यक्तियों को अवैध रूप से आवंटित कर दिया.
षड्यंत्र के केंद्र में तात्कालीन हजारीबाग उपायुक्त विनय कुमार चौबे को ही बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि आईएएस विनय कुमार चौबे ने लीज नवीनीकरण के दरम्यान सेवायत शब्द को हटा दिया और ट्रस्ट भूमि को सरकारी दिखाने की कोशिश की.
शराब घोटाला केस में भी आरोपी हैं विनय कुमार चौबे
इससे पहले आईएएस विनय कुमार चौबे का नाम शराब घोटाला केस में आ चुका है. 20 मई को उन्हें इस केस में एसीबी ने गिरफ्तार भी किया था. वह अभी जमानत पर बाहर हैं. एसीबी का आरोप है कि आईएएस विनय कुमार चौबे ने उत्पाद सचिव रहते शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर झारखंड की नई उत्पाद नीति बनाई. प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन से लेकर होलोग्राम लगाने तक में गड़बड़ी की और सरकारी राजस्व को 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया.
अनुमान लगाया गया कि घोटाला 100 करोड़ का हो सकता है. बाबूलाल मरांडी ने तो आरोप लगाया था कि झारखंड में 1000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले को अंजाम दिया गया है.