झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पेसा कानून लागू होने तक लघु खनिज आवंटन पर रोक, सरकार की कार्यशैली पर कोर्ट की तल्ख टिप्पणी – जानिए क्या है पूरा मामला?

Jharkhand High Court issues major ruling: Minor mineral allocations banned until PESA Act is implemented, court slams government's working style - find out what the whole matter is?

रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने पेसा (Panchayat Extension to Scheduled Areas – PESA) कानून लागू करने में हो रही देरी को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। बुधवार को चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि केवल आदेश जारी करना और उन्हें नजरअंदाज करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक पेसा कानून की नियमावली अधिसूचित नहीं होती, तब तक राज्य में लघु खनिज और बालू घाटों के आवंटन पर लगी रोक जारी रहेगी। अदालत ने सरकार से पूछा कि आखिर 1996 में लागू हुए पेसा एक्ट के नियम अब तक क्यों तैयार नहीं किए गए।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि नियमावली का ड्राफ्ट तैयार कर कैबिनेट को भेजा जा चुका है और इसके लिए एक माह का समय मांगा गया है। हालांकि, आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के अधिवक्ता अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह ने कहा कि यह ड्राफ्ट पहले भी कई बार विभिन्न स्तरों पर भेजा जा चुका है, लेकिन आज तक नियम लागू नहीं हुए।

अदालत ने जोर देकर कहा कि प्रक्रिया से कोई मतलब नहीं है, आदेश का पालन होना चाहिए। साथ ही अधिकारियों पर कार्रवाई और अवमानना की चेतावनी भी दी। इस सुनवाई के बाद माना जा रहा है कि राज्य सरकार पर PESA नियमावली अधिसूचना जारी करने का दबाव और बढ़ गया है।

अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिकार देने के लिए पेसा कानून की लागू करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। हाईकोर्ट का यह निर्णय आदिवासी अधिकारों और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है।

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