झारखंड कर्मचारियों की खबर: क्या है कर्मचारियों में परिवहन भत्ता विवाद, क्यों बढ़ रहा कर्मचारियों में असंतोष, मुख्यमंत्री से कर्मचारियों ने की ये अपील….
Jharkhand employees news: What is the transport allowance dispute among employees, why is dissatisfaction increasing among employees, employees made this appeal to the Chief Minister…

रांची। झारखंड में कर्मचारियों से जुड़ी एक बड़ी खबर है। कर्मचारियों के प्रदेश में लागू परिवहन भत्ता पर असंतोष बढ़ गया है। दरअसल सातवें वेतन आयोग के आधार पर झारखंड में लागू परिवहन भत्ता का लाभ रांची, धनबाद, जमशेदपुर और बोकारो के बाहर पदस्थ कर्मचारियों को नहीं मिल पा रही है। झारोटेफ ने राज्य सरकार से सभी कर्मचारियों को समान भत्ता देने की मांग की है।
दरअसल सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार देश में दो श्रेणियों के शहरी भत्ते लागू हैं – जेड और वाई। बड़े शहरों को जेड श्रेणी और मध्यम श्रेणी के शहरों को वाई श्रेणी में रखा गया है। झारखंड में चार जिले – रांची, धनबाद, जमशेदपुर और बोकारो – वाई श्रेणी में शामिल हैं।इन चार शहरों के नगर निगम क्षेत्रों में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों को उनके निवास स्थान से कार्यालय तक आवागमन के लिए स्थानीय परिवहन भत्ता मिलता है।
हालांकि झारखंड के अन्य जिलों में पदस्थ कर्मियों को यह सुविधा नहीं दी जाती। उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी रांची, धनबाद, जमशेदपुर या बोकारो के बाहर किसी जिले में ट्रांसफर होता है, तो उसे परिवहन भत्ते का लाभ नहीं मिलता। इसी तरह, यदि कोई कर्मी झारखंड भवन, दिल्ली में ट्रांसफर होता है, तो वहां उसे जेड श्रेणी का परिवहन भत्ता मिलने लगता है।
कर्मचारियों की लगातार शिकायतों के बाद पिछले वर्ष हेमंत सरकार ने चार मुख्य शहरों के नगर निगम क्षेत्रों के बाहर आठ किलोमीटर के दायरे में कार्यरत कर्मचारियों को भत्ते में शामिल किया। इसके बावजूद मूल समस्या जस की तस बनी रही और अन्य जिलों के कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस विसंगति को लेकर झारखंड ऑफिसर्स टीचर्स एंड इम्प्लाइज फेडरेशन (झारोटेफ) ने राज्य सरकार से आपत्ति दर्ज कराई है। झारोटेफ के प्रांतीय कोषाध्यक्ष नितिन कुमार ने बताया कि महासम्मेलन के दौरान विभागीय मंत्री दीपक बिरुवा को इस विषय में अवगत कराया गया और उन्होंने इसे दूर करने का आश्वासन दिया। झारोटेफ का कहना है कि राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों को समान सुविधा प्रदान की जानी चाहिए, ताकि असंतोष और असमानता न फैले।
कर्मचारी संगठन का यह भी मानना है कि केंद्र एवं अन्य राज्यों में परिवहन भत्ते के अलग-अलग प्रावधान हैं, और झारखंड सरकार को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवागमन की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए नीति तय करनी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारियों को कार्यालय तक आने-जाने में अधिक कठिनाई होती है, लेकिन उन्हें भी वाई श्रेणी का भत्ता नहीं मिलता।