झारखंड में शिक्षकों के लिए बुरी खबर, TET की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू दाखिल नहीं करेगी सरकार, हजारों शिक्षकों की नौकरी पर खतरा

Bad news for teachers in Jharkhand: The government will not file a review in the Supreme Court regarding the mandatory TET, putting the jobs of thousands of teachers at risk.

Jharkhand Teacher News : झारखंड में हजारों शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा गया है। हेमंत सरकार ने साफ कर दिया है कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगी। झारखंड सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कोई रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगी।

 

कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया था कि राज्य के वे सभी प्रारंभिक शिक्षक जिनकी सेवा पांच वर्ष से अधिक बची है, उन्हें दो वर्षों के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करनी होगी। ऐसा न करने पर उन्हें अनिवार्य रूप से सेवा से हटाया जा सकता है। ऐसे में अब झारखंड सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश पर रिव्यू पिटीशन दाखिल न करने का निर्णय लेना, हजारों शिक्षकों के लिए झटका है।

 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक प्रारंभिक शिक्षकों के लिए दो वर्षों में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य किया गया है। राज्य सरकार अब इस अवधि में कम से कम दो बार परीक्षा आयोजित करने की तैयारी में है ताकि प्रभावित शिक्षक परीक्षा उत्तीर्ण कर सकें।स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का कहना है कि रिव्यू पिटीशन दाखिल करने के बजाय सबसे व्यावहारिक समाधान यही है कि निर्धारित समयावधि में परीक्षा का आयोजन सुनिश्चित किया जाए।

 

विभाग का प्रयास है कि अगले दो वर्षों में कम से कम दो बार TET का आयोजन हो ताकि अधिक से अधिक शिक्षक परीक्षा पास कर सकें और सेवा में बने रह सकें।विभाग का यह भी मानना है कि रिव्यू पिटीशन अक्सर अदालत में टिकती नहीं है, इसलिए समय और संसाधन व्यर्थ करने से बेहतर होगा कि परीक्षाओं के आयोजन पर ध्यान दिया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का भी इंतजार किया जा रहा है।

 

करीब 30 हजार शिक्षक होंगे प्रभावित

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राज्य के लगभग 30 हजार प्रारंभिक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। ये वे शिक्षक हैं जिन्हें फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट, 2009 (RTE) लागू होने से पहले नियुक्त किया गया था। आदेश के अनुसार, जो शिक्षक निर्धारित समयावधि में परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाएंगे, उन्हें सेवा से हटा दिया जाएगा या अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी।

 

यदि यह आदेश सहायक अध्यापकों (पारा-शिक्षकों) पर भी लागू होता है तो प्रभावित शिक्षकों की संख्या और बढ़ जाएगी। इन शिक्षकों का कहना है कि चूंकि वे कानून लागू होने से पहले से कार्यरत हैं, इसलिए उन पर यह शर्त लागू नहीं होनी चाहिए।

 

आंदोलन की राह पर शिक्षक संघ

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ देशभर में शिक्षक लामबंद हो रहे हैं। झारखंड में भी विभिन्न शिक्षक संघ आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाए। शिक्षक यह भी मांग कर रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर आरटीई एक्ट और नियमावली में संशोधन करें ताकि पुराने शिक्षकों को इस अनिवार्यता से छूट मिल सके।

झारखंड में अंतिम बार TET परीक्षा 2016 में आयोजित की गई थी। इसके पहले यह परीक्षा 2012 में हुई थी। इसके बाद नियमावली और भाषा विवाद के कारण परीक्षा लगातार टलती रही। स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा निर्देश दिए जाने और JAC द्वारा आवेदन मंगाने के बावजूद परीक्षा नहीं हो पाई।

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