Pitru Paksha 2025: क्यों सिर्फ गया में ही मिलती है पितरों को मुक्ति? पिंडदान से जुड़ा वो रहस्य जो हर पीढ़ी को जानना चाहिए!

 Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा। ये 16 दिन वो विशेष समय माने जाते हैं जब व्यक्ति अपने पूर्वजों (पितरों) को श्रद्धा और कृतज्ञता से याद करता है। विधिपूर्वक तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

लेकिन एक सवाल हर बार मन में आता है —
 पिंडदान के लिए “गया” ही क्यों?

 Pitru Paksha 2025: गया में पिंडदान का महत्व:

बिहार राज्य में स्थित गया को ‘पितृ तीर्थ’ कहा गया है।
गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि गया में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है।

यहां किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को मोक्ष मिलता है और वे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं।

 Pitru Paksha 2025: पौराणिक कथा: माता सीता और राम का गया आगमन

मान्यता है कि भगवान राम और माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान गया में ही किया था। इस पिंडदान के बाद दशरथ जी की आत्मा को शांति मिली और स्वर्ग प्राप्त हुआ।
इसलिए आज भी गया में पिंडदान करना सबसे फलदायक और मोक्षदायक माना जाता है।

 Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में पिंडदान क्यों जरूरी है?

  • पितरों की आत्मा को शांति मिलती है

  • पितर प्रसन्न होकर देते हैं आशीर्वाद

  • परिवार में आती है सुख-शांति और समृद्धि

  • आत्मा को धरती से मोहभंग होता है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है

📍इसलिए, यदि आप अपने पूर्वजों के लिए सच्ची श्रद्धा और मुक्ति की कामना रखते हैं —
तो गया में पिंडदान अवश्य करें।

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