झारखंड: …जब थाना प्रभारी बन गये मास्टर साहब, 10वीं-12वीं के बच्चों को पढ़ायी केमेस्ट्री, एसपी ने भी की तारीफ…
Jharkhand: ...When Master sahab became the station in-charge, he taught chemistry to 10th-12th class students, even SP praised him...

पलामू। जो हाथ बंदूक थामा करती है, उन हाथों में चॉक और डस्टर देखकर छात्र-छात्राएं भी दंग रग गये। मामला घोर नक्सल प्रभावित मनातू का है, जहां थाना प्रभारी निर्मल उरांव शिक्षक की भूमिका में नजर आये। थाना प्रभारी का ये अंदाज देखकर छात्र-छात्राएं भी बेहद खुश हो गये। पेट्रोलिंग के दौरान जब वह कार्तिक उरांव प्लस टू हाई स्कूल पहुंचे, तो उन्होंने वहाँ पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं को केमिस्ट्री पढ़ाना शुरू कर दिया।
जिस स्कूल में निर्मल उरांव ने बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ाई, वह इलाका नक्सल गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है। यही नहीं, इस स्कूल में पहले माओवादी पोस्टर चिपकाकर अपने फरमान जारी करते थे। लेकिन अब इस स्कूल की तस्वीर बदल रही है। 640 से अधिक छात्र-छात्राओं वाले इस स्कूल में शिक्षकों की कमी लंबे समय से बनी हुई है, और इसी खालीपन को थाना प्रभारी ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से भरने की कोशिश की।
बता दें कि माओवादी संगठन भाकपा माओवादी 28 जुलाई से 3 अगस्त तक ‘शहीद सप्ताह’ मना रहे हैं। ऐसे समय में जब सुरक्षा बल अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं, थाना प्रभारी निर्मल उरांव बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद स्कूल पहुंचते हैं — यह कदम केवल प्रशंसनीय नहीं बल्कि मिसाल बनने लायक है।
निर्मल उरांव खुद बी.एड. डिग्रीधारी हैं और पहले भी कई मौकों पर बच्चों को पढ़ाते देखे गए हैं। उनका मानना है कि शिक्षा ही वह ताकत है, जो समाज को अंधकार से बाहर निकाल सकती है। पलामू की एसपी रीष्मा रमेशन ने भी उनके प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि, “पुलिस अब सिर्फ कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की भी वाहक बन रही है।”
निर्मल उरांव पिछले डेढ़ साल से मनातू में थाना प्रभारी के पद पर कार्यरत हैं और नक्सलियों के खिलाफ कई सफल अभियानों के साथ-साथ सामाजिक पुलिसिंग में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।