टेलर का बेटा बना अफसर: अस्पताल की बेड पर पिता को मिली बेटे के अफसर बनने की खबर, JPSC में 78वीं रैंक लाने वाले खुर्शीद की कहानी रूला देगी…
Tailor's son becomes an officer: Father gets the news of his son becoming an officer on the hospital bed, the story of Khurshid who got 78th rank in JPSC will make you cry...

JPSC CIVIL SERVICES EXAM RESULT: चतरा, झारखंड।सपनों की उड़ान के लिए जरूरी नहीं कि पंख हों… अगर इरादे मजबूत हों, तो मुश्किल से मुश्किल हालात भी रास्ता बनने लगते हैं। चतरा जिले के एक छोटे से गांव कसारी से निकलकर जेपीएससी 2024 में 78वीं रैंक हासिल करने वाले मो. खुर्शीद ने यह बात सच साबित कर दी है।
गांव की मिट्टी से गढ़ा गया अफसर
मो. खुर्शीद मूल रूप से चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के कसारी गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता मो. हनीफ वर्षों से रफ्फू (कपड़े सिलाई) का काम करते रहे, और मां हामिदा खातून गांव में सहिया दीदी के रूप में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी हैं। आठ भाई-बहनों में सबसे छोटे खुर्शीद की परवरिश कठिनाइयों से भरी रही — लेकिन उन्हीं तकलीफों ने उन्हें निखारा।गांव से प्रारंभिक शिक्षा लेकर, फिर हजारीबाग के सेंट कोलंबस कॉलेज से इंटर और स्नातक पूरा किया। हजारीबाग के एक छोटे से लॉज में किराए पर कमरा लेकर, उन्होंने खुद को तैयारी में झोंक दिया। न महंगी कोचिंग, न कोई गाइड — सिर्फ किताबें, कमरा और एक सपना।
जब पिता अस्पताल में थे, बेटा किताबों में डूबा था
इस सफलता के पीछे जो सबसे बड़ी कुर्बानी है, वह उनके पिता की बीमारी है। मो. हनीफ पिछले तीन सालों से अस्वस्थ हैं, उनका इलाज हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। इलाज का खर्च, घर का गुजारा और खुर्शीद की पढ़ाई — सब कुछ मां हामिदा खातून के कंधों पर था, जिनकी आमदनी बेहद सीमित है।
लेकिन क्या गरीबी सपना रोक पाई? नहीं
खुर्शीद के हौसले ने उन्हें हालात से हारने नहीं दिया।“मैंने सिर्फ एक सपना देखा, और हालात का बहाना नहीं बनाया” जब उनसे पूछा गया कि इतनी कठिन परिस्थिति में कैसे यह सफलता मिली, तो खुर्शीद मुस्कराते हुए कहते हैं –“मैंने बस एक सपना देखा — और उसे साकार करने की जिद पकड़ ली। मैंने कभी भी हालात को दोष नहीं दिया, बल्कि उन्हें ताकत बना लिया।”
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया और कहा कि “पिता के रफ्फू किए कपड़े और मां के पसीने ने मुझे पढ़ने का मौका दिया, ये मेरा नहीं, उनका सपना था जो आज पूरा हुआ है।”
पूरा गांव आज गर्व से भरा है
आज कसारी गांव में हर कोई कह रहा है –“देखो, रफ्फू करने वाला मो. हनीफ का बेटा अब अफसर बन गया!”यह सिर्फ एक परिवार की जीत नहीं है — यह उस समाज की जीत है जो सपने देखने से डरता है, जो गरीबी को ही किस्मत मान लेता है। खुर्शीद ने बता दिया कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जो रास्तों से नहीं, अपने हौसलों से चलते हैं।