झारखंड के ऐतिहासिक मठ को नई पहचान…हजारीबाग में धार्मिक न्यास बोर्ड की पहल, कायाकल्प के लिए हुआ दौरा

New identity to the historical monastery of Jharkhand... Religious Trust Board's initiative in Hazaribagh, visit for rejuvenation

Hazaribagh: झारखंड का सबसे पुराना ऐतिहासिक लगभग 250 साल पुराना मठ को दुरुस्त करने की तैयारी चल रही है। हजारीबाग के इचाक प्रखंड में दो मठ है। दोनों का इतिहास लगभग 250 से लेकर 300 वर्ष पुराना है। छोटा अखाड़ा जिसे श्री राम जानकी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, उसे दुरुस्त करने की तैयारी चल रही है।

Hazaribagh: धार्मिक न्यास बोर्ड का दौरा

झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष जयशंकर पाठक ने जानकारी देते हुए कहा कि ऐतिहासिक और प्राचीन मठ का दौरा किया गया है। मठ की स्थिति बेहद चिंतनीय है। इसे ठीक किया जाएगा। मठ रख-रखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रहा है। पुराना ढांचा को दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है, ताकि पुराना अखाड़ा को जीवित किया जा सके। मठ के पास करोड़ों रुपये की 70 से 75 एकड़ जमीन भी है। मठ के आसपास 50 दुकान बनाई जाएगी। किराए के पैसे से मठ में पूजा की जाएगी।

Hazaribagh: मठ का जीर्णोद्धार हो, लेकिन राजनीति नहीं

हजारीबाग ऐतिहासिक जिला रहा है, उसका इतिहास रामगढ़ राज घराना से जुड़ा हुआ है। रामगढ़ राजघराना का किला आज भी पदमा में है, इसकी राजधानी इचाक हुआ करता था। जिसे मंदिरों का गांव कहा जाता है। मठ राज परिवार की राजधानी बनने के पहले से है। मठ में संत महर्षि यात्रा करते हुए पहुंचते थे तो उन्हें विश्राम करने के लिए यहां जगह दी जाती थी। देखरेख के अभाव में यह अब खंडहर में तब्दील हो गया है। इचाक के स्थानीय ग्रामीण और समाजसेवी बटेश्वर मेहता भी बताते हैं कि मठ का जीर्णोद्धार हो, लेकिन वहां राजनीति होगी तो इसका विरोध भी होगा। मठ की जमीन पर अवैध कब्जा हो रहा है।

झारखंड की स्थापना के बाद महज तीन बार ही धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन किया गया है। अब यह बोर्ड धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार करने की तैयारी में लगा हुआ है।

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