झारखंड : बिजली बिल जमा करने के बाद भी कट सकती है बिजली? जानें ‘लिंक फेल’ और शून्य बैलेंस की समस्या का समाधान
Jharkhand: Can electricity be cut even after paying the electricity bill? Know the solution to the problem of 'link failure' and zero balance

रांची: राजधानी रांची में बिजली उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेवीवीएनएल) की एटीपी मशीन और मैसेजिंग सेवा। उपभोक्ता समय पर बिजली बिल जमा करने के बावजूद ‘बैलेंस शून्य’ और ‘बकाया भुगतान नहीं करने पर बिजली आपूर्ति बाधित की जाएगी’ जैसे चेतावनी भरे मैसेजों से परेशान हो रहे हैं।
शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुभाष आर. सिंह के साथ ऐसा ही मामला सामने आया। उन्होंने बताया कि उनके बिजली उपभोक्ता खाते में ₹6000 का बकाया था जिसे उन्होंने सुबह एटीपी मशीन के जरिए ₹7000 जमा कर चुका था। लेकिन दोपहर तक उनके मोबाइल पर लगातार मैसेज आने लगे कि उनका खाता शून्य हो चुका है और बकाया राशि का भुगतान न करने पर बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा।
स्मार्ट मीटर, स्मार्ट समस्या
रांची शहर में करीब 3.5 लाख उपभोक्ताओं में से 3.3 लाख घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। लेकिन इन मीटरों से जुड़े डेटा अपडेट और लिंकिंग की समस्याएं उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द बन चुकी हैं। कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि एटीपी मशीन पर भुगतान के दौरान ‘लिंक फेल’ की समस्या बार-बार सामने आ रही है, जिससे उन्हें बार-बार लाइन में लगना पड़ता है।
25 हजार उपभोक्ताओं की बिजली काटी जा चुकी है
रांची विद्युत आपूर्ति अंचल की ओर से लगातार बकायादारों के कनेक्शन काटे जा रहे हैं। अब तक करीब 25 हजार उपभोक्ताओं की बिजली आपूर्ति बिल बकाया रहने के कारण बंद की जा चुकी है। हालांकि विभाग का कहना है कि भुगतान के 24 घंटे के भीतर खाते में अपडेट हो जाता है, और बिजली तुरंत बहाल कर दी जाती है।
विभाग की सफाई और अपील
रांची विद्युत एरिया बोर्ड के महाप्रबंधक मनमोहन कुमार ने कहा कि उपभोक्ताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है। किसी भी तकनीकी गड़बड़ी का समाधान जल्द किया जाएगा। विभाग ने अपील की है कि उपभोक्ता एटीपी मशीन, वेबसाइट या जैक्सन पे के माध्यम से बकाया बिल का भुगतान कर सकते हैं और भुगतान के तुरंत बाद बिजली बहाल कर दी जाएगी।
जमीनी हकीकत कुछ और
हालांकि उपभोक्ताओं की बातों से यह स्पष्ट है कि सिस्टम अपडेशन, लिंकिंग और मैसेजिंग में तकनीकी खामियां अब एक बड़ी समस्या बन चुकी हैं। विभाग को तकनीकी सुधारों पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी, ताकि उपभोक्ताओं को दोहरी मानसिक यातना से छुटकारा मिल सके।