गुफा में रह रही रूसी महिला की कहानी: बच्चे, जंगल और कला… लेकिन क्यों नहीं लौटी कभी रूस?

कर्नाटक की गुफा में दो बेटियों संग रहने वाली नीना कुटीना बोलीं— “हमें भारत से प्यार है, यहां की मिट्टी में शांति है... बेटा खोया, लेकिन लौटना मंजूर नहीं”

गोकर्ण (कर्नाटक)। कर्नाटक के गोकर्ण में एक गुफा में रह रही रूसी महिला नीना कुटीना की जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं लगती। दो बेटियों के साथ जंगलों में जीवन बिताने वाली यह महिला पिछले 8 सालों से बिना वीजा के भारत में रह रही थी, लेकिन अब जब प्रशासन ने उसे गुफा से बाहर निकाला, तो वह बेहद दुखी है।

कौन हैं नीना कुटीना?

40 वर्षीय नीना कुटीना ने पीटीआई से बातचीत में बताया कि उन्होंने पिछले 15 सालों में 20 से अधिक देशों की यात्रा की, लेकिन भारत में उन्होंने खुद को सबसे ज्यादा शांति में पाया। उनकी दोनों बेटियां 6 और 8 साल की हैं, जिनका जन्म अलग-अलग देशों में हुआ। नीना बताती हैं कि उन्होंने बिना डॉक्टर या अस्पताल की मदद के खुद ही बेटियों की डिलीवरी की, क्योंकि वह इन चीजों का ज्ञान रखती हैं।

गुफा में कैसी थी ज़िंदगी?

नीना कहती हैं, “हम सूरज के साथ जागते, नदियों में तैरते, पेंटिंग बनाते, गाने गाते, किताबें पढ़ते और शांति से रहते थे।” वह आसपास के गांव से सामान लाती थीं और मौसम देखकर आग या गैस सिलेंडर पर खाना बनाती थीं।

लेकिन अब वह कहती हैं कि उन्हें जिस जगह पर रखा गया है, वह असहज और गंदी है। “यहां निजता नहीं है, सिर्फ सादा चावल खाने को मिलता है। हमारा जरूरी सामान भी जब्त कर लिया गया है, जिसमें मेरे बेटे की अस्थियां भी थीं, जो 9 महीने पहले गुजर गया।”

कैसे चलता था खर्च?

नीना बताती हैं कि उन्होंने अपनी पेंटिंग्स, म्यूजिक वीडियो, बच्चों को पढ़ाने और बेबीसिटिंग के जरिए कुछ पैसे कमाए। अगर कहीं से काम नहीं मिला, तो उनके पिता, भाई या बेटा मदद कर देते थे। “हमारे पास जरूरत के अनुसार हमेशा पर्याप्त पैसा रहा।”

वापस रूस क्यों नहीं गईं?

इस सवाल पर नीना की आंखें नम हो जाती हैं। “कई अपनों को खोया, दस्तावेजों की झंझटें और लगातार दुख झेले। लेकिन भारत ने मुझे और मेरे बच्चों को सुकून दिया। यहां के लोग, पर्यावरण और संस्कृति ने हमें बांध लिया है।” उन्होंने बताया कि वह अब रूसी दूतावास के संपर्क में हैं।

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