सुप्रीम कोर्ट में झारखंड के कैदियों की गुहार: मौत की सजा के मामलों में तेजी लाने के लिए हाईकोर्ट से मांगी रिपोर्ट

Plea of ​​Jharkhand prisoners in Supreme Court: Report sought from High Court to expedite death penalty cases

सुप्रीम कोर्ट सख्त: झारखंड हाईकोर्ट में अपीलों की देरी पर मांगी रिपोर्ट, 10 कैदी वर्षों से इंतजार में

झारखंड हाईकोर्ट अपीलों की देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने  सख्त रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी लंबित मामलों की अद्यतन स्थिति रिपोर्ट जल्द पेश की जाए।

याचिका में बताया गया कि कुल 10 कैदी न्याय की प्रतीक्षा में हैं, जिनमें से 6 को निचली अदालतों से मौत की सजा सुनाई गई है और 4 आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। इनकी अपीलें 2018-19 से झारखंड हाईकोर्ट में लंबित हैं और अब तक निर्णय आरक्षित हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता फौजिया शकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इनमें एक कैदी पिछले 16 वर्षों से जेल में है, जबकि बाकी कैदी भी 6 से 16 साल से सलाखों के पीछे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे. बागची शामिल हैं, ने नाराजगी जताते हुए कहा कि “इतनी लंबी देरी न्याय प्रणाली को कमजोर करती है।” कोर्ट ने पूछा कि निर्णय में बाधा किस स्तर पर है और अब तक फैसला क्यों नहीं हुआ।

दिलचस्प बात यह रही कि सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट में केवल दो कैदियों का जिक्र था, जबकि याचिका में कुल 10 नाम दर्ज थे। कोर्ट ने इस विसंगति पर भी सवाल उठाए हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले इसी तरह की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद तीन कैदियों को बरी किया गया था और एक को जमानत मिल चुकी है। यह मामला न्यायिक देरी पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

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