दो बेटियां, एक गुफा और सांपों से दोस्ती: आखिर कौन है वो रूसी महिला जो 2 महीने जंगल में छिपकर ज़िंदा रही?

ये सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि साहस, माँ के प्रेम और आत्मनिर्भरता की मिसाल है।

गोकर्ण (कर्नाटक): कल्पना कीजिए—गहराई से भरी एक गुफा, दो मासूम बेटियां, एक विदेशी महिला, सांपों से दोस्ती और जंगल में बीते दो महीने। ये किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है नीना कुटिना की, जो रूस से आई थीं और भारत के जंगलों में गुमनाम जीवन जी रही थीं।

40 वर्षीय नीना कुटिना, जिन्हें मोही के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर कन्नड़ जिले के रामतीर्थ पहाड़ी की एक गुफा में अपनी 6 साल की बेटी प्रेया और 4 साल की अमा के साथ रह रही थीं। 9 जुलाई को पुलिस गश्त के दौरान जब गुफा के पास साड़ियां और प्लास्टिक कवर दिखे, तब यह रहस्य सामने आया।

जंगल में जन्म, योग और सांपों से दोस्ती

कुटिना ने अपनी दोनों बेटियों को जंगल में ही जन्म दिया। उन्होंने उन्हें योग, ध्यान, चित्रकला और आध्यात्मिक जीवन की शिक्षा दी। भोजन के लिए वे इंस्टेंट नूडल्स, फल और जंगल के संसाधनों पर निर्भर रहीं।
उन्होंने पुलिस को बताया—

“सांप हमारे दोस्त हैं, जब तक उन्हें परेशान न किया जाए, वे कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।”

गुफा में रूद्र की मूर्तिहिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें और रूसी किताबें भी मिलीं। ये संकेत हैं कि कुटिना ने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को गहराई से अपनाया।

क्यों जंगल को चुना ठिकाना?

नीना 2016 में बिजनेस वीजा पर भारत आई थीं, जो 2017 में समाप्त हो गया। लेकिन देश छोड़ने की बजाय उन्होंने खुद को प्रकृति की गोद में छिपा लिया। 2018 में उन्होंने नेपाल के लिए एग्जिट परमिट लिया, लेकिन वहां न जाकर फिर से जंगल में लौट आईं। अधिकारियों का मानना है कि वह कानूनी पकड़ से बचने के लिए होटलों और पब्लिक जगहों से दूरी बनाए रखती थीं।

अब कहां है नीना और बच्चे?

पुलिस ने नीना और उसकी बेटियों को कुमटा तालुक के एक आश्रम भेज दिया है, जहां 80 वर्षीय एक स्वामीजी उनकी देखभाल कर रहे हैं। साथ ही, रूस वापस भेजने की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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