मनीष कश्यप ने जन सुराज का दामन थामा, प्रशांत किशोर से मिलकर लिया नया संकल्प

Manish Kashyap joined Jan Suraj, took a new resolution after meeting Prashant Kishore

पटना: बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप ने आज पटना के बापू सभागार में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजनैतिक सफर की नई शुरुआत की। वे अब प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली जन सुराज पार्टी का हिस्सा बन गए हैं ।

 

इस अवसर पर मनीष कश्यप ने खुद अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में फोटो शेयर करते हुए कहा, “जन सुराज के सूत्रधार और बिहार का भविष्य संवारने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखने वाले प्रशांत किशोर जी को आज मैंने भारतीय संविधान भेंट किया” । उन्होंने जोड़ा कि वे “नया बिहार” बनाने के इस आंदोलन में “भागीदार” बनना चाहते हैं।

 

प्रमुख घटनाक्रम

आज 7 जुलाई 2025 को बापू सभागार में औपचारिक तौर पर जन सुराज में शामिल हुए

 

इससे पहले मनीष ने 7 जून को फेसबुक लाइव में BJP से अपना इस्तीफा दिया था। वे अप्रैल 2024 में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन कुछ विवादों के बाद उन्होंने पार्टी में रह कर प्रभावी भूमिका न निभाने का आरोप लगाया था।

 

उनके शामिल होने से जन सुराज को चनपटिया विधानसभा क्षेत्र में ताल ठोकने की संभावना है; मनीष वहीं से चुनाव लड़ सकते हैं।

मनीष का संदेश और सोशल मीडिया पोस्ट

मनीष के एक्स (ट्विटर) पोस्ट का एक अंश:

“जन सुराज के सूत्रधार और बिहार का भविष्य संवारने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखने वाले प्रशांत किशोर जी को आज मैंने भारतीय संविधान भेंट किया…”

उन्होंने कहा कि वे युवा वर्ग को सत्‍ता से जोड़ना चाहते हैं और बिहार से पलायन जैसे मुद्दों पर भी आवाज उठाएंगे:
“बुझी हुई आश जलाएंगे हम, घर‑घर रौशनी पहुँचाएंगे हम, पलायन का दर्द मिटाएंगे हम, फिर से नया बिहार बनाएंगे हम।”

राजनीतिक विश्लेषण

प्रशांत किशोर की यह जन सुराज पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव में पूरे बिहार में तीन-चौथाई सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है।

विश्लेषकों का मानना है कि मनीष की युवा-आकर्षक मीडिया पहुंच से पार्टी को सोशल मीडिया पर मजबूती मिलेगी। खासकर, चनपटिया जैसे बीजेपी गढ़ में यह गठजोड़ चुनौतियों की नई शुरुआत मानी जा रही है।

मनीष कश्यप की राजनीति से जुड़े विवाद

मार्च 2023 में तमिलनाडु में बिहारियों पर फर्जी वीडियो.Upload करने के आरोप में मनीष को गिरफ्तार किया गया था, बाद में उन्हें जमानत मिली।

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों से झड़प के भी आरोप लगे थे, जिसने उनकी राजनीतिक छवि को प्रतिकूल छाया दी।

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