हिमाचल में कुदरत का कहर: 62 मौतें, ज़मीन धंसी, घर बहे, लापता 56 जिंदगियों का कोई सुराग नहीं…

मानसून से तबाही: 62 मौतें, 283 करोड़ का नुकसान — मंडी सबसे ज्यादा प्रभावित, सेना से मांगी गई हवाई मदद

हिमाचल प्रदेश। हिमाचल में मानसून इस बार रहमत नहीं, बल्कि आफत बनकर बरसा है। 20 जून से अब तक बारिश और भूस्खलन ने 62 लोगों की जान ले ली56 लोग लापता हैं और 103 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। सैकड़ों मकान जमींदोज हो चुके हैं और 283 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान राज्य झेल चुका है।

मंडी बना तबाही का केंद्र
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार अकेले मंडी जिले में 168 मकान ढह गए, 148 घरों के मलबे में तबाही देखी गई है। सोमवार रात मंडी के थुनाग, गोहर, करसोग, धार जरोल और पांदव शिमला क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से भारी तबाही हुई।
11 लोगों की मौत और 34 लोग अब भी लापता हैं।
14 पुल बह गए31 वाहन क्षतिग्रस्त और 162 मवेशी मारे गए। राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और अब तक 370 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।

245 सड़कें बंद, 918 ट्रांसफार्मर ठप
भारी बारिश और लैंडस्लाइड के कारण प्रदेश में 245 सड़कें बंद हैं, जिनमें से 151 सड़कें सिर्फ मंडी जिले में हैं। कुल्लू में 37 और शिमला में 27 सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं।
918 ट्रांसफार्मर ठप हो चुके हैं — मंडी में 489, हमीरपुर में 333 और कुल्लू में 65 ट्रांसफॉर्मर बंद हैं।

सबसे अधिक नुकसान PWD और जलशक्ति विभाग को

  • जलशक्ति विभाग को अब तक ₹163 करोड़ का नुकसान हुआ है।

  • लोक निर्माण विभाग (PWD) को ₹117 करोड़ की क्षति हुई है।

मौसम विभाग की चेतावनी: अभी और बढ़ेगा खतरा
मौसम विभाग ने चेताया है कि 8 जुलाई तक राज्य में खराब मौसम बना रहेगा।

  • 3 जुलाई: कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सिरमौर में येलो अलर्ट

  • 5 जुलाई: ऊना, कांगड़ा और मंडी में ऑरेंज अलर्ट, अन्य जिलों में येलो अलर्ट।

  • 6 जुलाई: ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, सिरमौर, शिमला, मंडी — ऑरेंज अलर्ट

  • 7 जुलाई: फिर से ऑरेंज अलर्ट

  • 8 जुलाई: येलो अलर्ट जारी किया गया है।

सीएम और विपक्ष के नेता पहुंचे मंडी, वायुसेना से मांगी गई मदद
मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने मंडी जिले के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। थुनाग उपमंडल की सड़कों की हालत इतनी खराब है कि राहत सामग्री पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन को भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय से हवाई सहायता मांगनी पड़ी है।

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