स्कंद पुराण की भविष्यवाणी: क्या सच में अदृश्य हो जाएंगे केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम?

जोशीमठ/उत्तराखंड। चारधाम यात्रा में शामिल केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि भारत की पौराणिक विरासत के अमूल्य रत्न भी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्कंद पुराण में इन दोनों पवित्र धामों के भविष्य को लेकर एक चौंकाने वाली भविष्यवाणी की गई है?

क्या कहती है स्कंद पुराण की भविष्यवाणी?(स्कंद पुराण की भविष्यवाणी)

स्कंद पुराण के एक श्लोक के अनुसार:

“बहुनि सन्ति तीर्थानि दिव्य भूमि रसातले।
बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यतिः॥”

इसका अर्थ है कि बद्रीनाथ जैसा कोई तीर्थ न पहले हुआ है, न आगे होगा। लेकिन इसी पुराण में यह भी कहा गया है कि कलियुग के अंतर्गत एक ऐसा समय आएगा जब बद्रीनाथ और केदारनाथ दोनों तीर्थ स्थल अदृश्य हो जाएंगे। यह घटना तब घटेगी जब नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे।

गंगा लौट जाएगी ब्रह्मा के कमंडल में(स्कंद पुराण की भविष्यवाणी)

स्कंद पुराण में यहां तक कहा गया है कि एक समय ऐसा आएगा जब गंगा भी शिव की जटाओं से निकलकर वापस ब्रह्मा के कमंडल में लौट जाएगी। यह संकेत होगा कि आध्यात्मिक युग का एक अध्याय समाप्त हो चुका है।

क्या दिखने लगे हैं संकेत?(स्कंद पुराण की भविष्यवाणी)

भविष्यवाणी के अनुसार, अदृश्य होने से पहले कुछ संकेत प्रकट होंगे। उनमें से प्रमुख संकेत जोशीमठ में विराजमान भगवान नरसिंह की मूर्ति से जुड़ा है। माना जाता है कि जब मूर्ति की उंगलियां हाथ से अलग हो जाएंगी, तब बद्रीनाथ इस स्थान को त्याग देंगे। स्थानीय पुजारियों का दावा है कि बीते वर्षों में मूर्ति की उंगलियां धीरे-धीरे पतली होती जा रही हैं।

फिर क्या होगा?(स्कंद पुराण की भविष्यवाणी)

भविष्यवाणी के अनुसार जब वर्तमान केदारनाथ और बद्रीनाथ अदृश्य हो जाएंगे, तब श्रद्धालुओं के लिए नए तीर्थस्थल होंगे — भविष्य केदार और भविष्य बद्री

  • भविष्य बद्री: जोशीमठ से लगभग 25 किमी दूर स्थित है, जहां भगवान विष्णु की पूजा उनके नरसिंह स्वरूप में की जाएगी।

  • भविष्य केदार: जोशीमठ क्षेत्र में ही स्थित है, जहां शिवलिंग और माता पार्वती की मूर्ति विराजमान है। भविष्य में यही स्थान शिव आराधना का मुख्य केंद्र बन जाएगा।

यह भी माना जाता है कि इसी क्षेत्र में आदि शंकराचार्य ने गहन तपस्या की थी, जिससे इस स्थान की आध्यात्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।

भले ही यह भविष्यवाणियां धार्मिक ग्रंथों पर आधारित हों, लेकिन करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ और बद्रीनाथ सिर्फ तीर्थ नहीं, बल्कि आस्था की जड़ हैं। ऐसे में ये सवाल केवल आध्यात्मिक या पौराणिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी हैं — क्या हम सच में अपने इन दिव्य धामों को खो देंगे?

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