झारखंड : पद्मश्री छुटनी देवी ने डायन कुप्रथा के खिलाफ मजबूत कानून की मांग की, बोलीं- कलंक मिटाना होगा!
Padmashri Chutni Devi demanded a strong law against the evil practice of witch-hunting, said- the stigma must be removed!

पद्मश्री छुटनी देवी ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से डायन कुप्रथा के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की.
छुटनी देवी ने कहा कि डायन प्रथा कलंक की तरह समाज में व्याप्त हो गया है. लोग अंधविश्वास की वजह से महिलाओं को डायन कहकर प्रताड़ित करते हैं. उनके साथ मारपीट की जाती है. शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है जिससे महिलाओं को आजादी चाहिए.
छुटनी देवी ने कहा कि मैं वर्षों से डायन कुप्रथा के खिलाफ लड़ रही हूं और कहां से कहां तक पहुंच गयी लेकिन, आज भी समाज में डायन कुप्रथा विद्यमान है.
झूनी नाम की महिला को रिश्तेदारों ने प्रताड़ित किया
छुटनी देवी का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है जिसमें वह किसी झूनी नाम की महिला के समर्थन में हेमंत सरकार से कानून बनाने की मांग करती हैं.
छुटनी देवी कहती हैं कि झूनी पर उसका भाई, भतीजा और भाभी डायन होने का आरोप लगाते हैं. उनके घर में कोई भी बीमार पड़ता है तो इसका ठीकरा झूनी पर फोड़ दिया जाता है. परिवार का दावा है कि उनका कोई परिजन बीमार है जिसे अस्पताल ले गये लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि कोई बीमारी नहीं है. जब ओझा के पास गये तो उसने झूनी का नाम लिया.
छुटनी देवी ने कहा कि 4 जून को झूनी को उसके भाई और भाभी अपने घर ले गये और अपने मृत परिजन को जिंदा करने को कहा. पूरी रात उसे प्रताड़ित किया.
छुटनी देवी ने कहा कि झूनी किसी को मार या जिंदा नहीं कर सकती. मैं नहीं जानती कि उनका आतंरिक विवाद क्या है लेकिन इस तरह से महिलाओं पर डायन होने का कलंक लगा देना काफी दुखद है.
झारखंड में डायन कुप्रथा के नाम पर महिलाओं का शोषण
गौरतलब है कि झारखंड में डायन कुप्रथा एक प्रमुख सामाजिक समस्या है. झारखंड में वर्ष 2001-2021 के बीच 20 वर्षों में कुल 593 महिलाओं की डायन कहकर हत्या कर दी गयी.
2001-2016 के बीच 523 महिलाओं को डायन बिसाही का आरोप लगाकर पीटा गया. 2012 में 26, 2013 में 54 और 2014 में 47 महिलाओं के साथ डायन बिसाही के नाम पर प्रताड़ना हुई.
गौरतलब है कि झारखंड में डायन कुप्रथा रोकने के लिए कानून बना है लेकिन इसका पर्याप्त असर नहीं दिखा और महिलाओं के खिलाफ हिंसा जारी है.
3 जुलाई 2001 को बनाया था डायन प्रथा प्रतिषेध कानून
झारखंड में डायन कुप्रथा पर रोक लगाने के उद्देश्य से 3 जुलाई 2001 को डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम लागू हुआ था जो संयुक्त बिहार के डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 1999 का ही हिस्सा था.
इस कानून के मुताबिक किसी महिला को डायन घोषित करना गैरकानूनी है और दोषी पाए जाने पर 3 महीने की जेल और 1000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
डायन कहकर शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करने पर दोषी को 6 महीने की जेल और 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. झाड़फूंक करने वाले और ओझा गुनियों पर डायन होने का आरोप लगाने वालों को 1 साल की जेल और 2000 रुपये का जुर्माना लगाया जा ससकता है.
यदि किसी महिला की लिंचिंग डायन बताकर की जाती है तो दोषियों पर 5 हजार से लेकर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. डायन बताकर किसी व्यक्ति अथवा महिला की हत्या करने पर आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है वहीं किसी को डायन कहकर आत्महत्या के लिए उकसाने पर 7 साल की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.