झारखंड शिक्षक न्यूज: 4000 शिक्षकों की नौकरी खतरे में, वेतन बंद करने का हुआ आदेश जारी, नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से कहा, सेवा से हटाने का आदेश…..

Jharkhand Teacher News: Jobs of 4000 teachers in danger, order issued to stop salary, Leader of Opposition told the Chief Minister, order to remove from service.....

Jharkhand School News : झारखंड में शिक्षा विभाग से जुड़ी एक ऐसी खबर आयी है, जिसने राजनीतिक गलियारों में भी तल्खी बढ़ा दी है। दरअसल झारखंड स्कूल शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक अहम निर्णय लेते हुए राज्यभर के लगभग 4000 पारा शिक्षकों का वेतन अप्रैल 2025 से बंद करने का आदेश जारी किया है।

 

विभाग के मुताबिक का कहना है कि इन शिक्षकों ने जिन संस्थानों से डिग्री प्राप्त की है, वे “अवैध” हैं। विभाग के अनुसार इन शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता संदेहास्पद संस्थानों से प्राप्त की गई है। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष ने तीखा बयान दिया है।

 

जिन जिलों के शिक्षकों की नौकरी खतरे में है, उसमें दुमका जिले में 153, गिरिडीह में 269, और देवघर में 98 पारा शिक्षकों सहित राज्यभर में हजारों शिक्षकों को नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें कहा गया है कि इन शिक्षकों ने प्रयाग महिला विद्यापीठ (उत्तर प्रदेश), हिंदी विद्यापीठ (इलाहाबाद) जैसे “गैर-मान्यता प्राप्त” संस्थानों से डिग्रियां ली हैं, जो अवैध मानी जाती हैं।

 

25 सालों से पारा शिक्षक हैं स्कूल में पदस्थ 

साल 2001-03 के दौरान सर्व शिक्षा अभियान के तहत गांवों की शिक्षा समितियों के माध्यम से पारा शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। उस समय न्यूनतम योग्यता मैट्रिक रखी गई थी, जिसे 2005 में इंटरमीडिएट कर दिया गया। सरकार ने निर्देश दिया था कि सेवा में रहते हुए शिक्षक उच्च शिक्षा के लिए नॉन-एटेन्डिंग कोर्स कर सकते हैं, जिससे हजारों शिक्षकों ने ऐसे संस्थानों से पढ़ाई की।

 

पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्र की हुई जांच 

पारा शिक्षकों का कहना है कि वे पिछले 20–25 वर्षों से स्कूलों में सेवा दे रहे हैं। विभाग ने पहले उनकी डिग्रियों की जांच की, वेतनमान स्वीकृत किया, और फिर 2022 में दोबारा सत्यापन कर परीक्षा भी ली। इसके बावजूद अब उन्हीं डिग्रियों को आधार बनाकर वेतन बंद करना अन्यायपूर्ण है।

बाबूलाल मरांडी ने साधा निशाना

इस मामले में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को घेरा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि जब झारखंड नया-नया बना था, उस वक्त शिक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर थी। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में ग्राम शिक्षा समिति के जरिए हज़ारों पारा शिक्षकों की नियुक्ति करवाई थी ताकि शिक्षा की नींव मजबूत की जा सके।

 

मरांडी ने कहा, “आज वही शिक्षक जो दो दशकों से ईमानदारी से सेवा दे रहे हैं, उन्हें अवैध डिग्री के नाम पर हटाया जा रहा है। यह फैसला न केवल अमानवीय है, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर भी विपरीत असर डालेगा।” उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि इस निर्णय को तुरंत रद्द किया जाए और पारा शिक्षकों का वेतन पुनः नियमित रूप से जारी किया जाए।

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