रांची। झारखंड में सरकारी खजाने को लाखों-करोड़ों का चूना कैसे लगाया गया, इसका खुलासा CAG रिपोर्ट में हुआ है। विधानसभा में प्रस्तुत CAG की रिपोर्ट को लेकर महालेखाकर अनूप फ्रांसिस डुंगडूंग ने प्रेस कांफ्रेंस की और सरकारी खजाने का लेखा-जोखा सामने रखा, इस दौरान बड़े पैमाने पर अफरा-तफरी की भी जानकारी सामने आयी।

4 लाख की डेंटल चेयर 14 लाख में खरीदा

CAG की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि रिम्स डेंटल इंस्टीच्यूट में बीडीएस की पढ़ाई शुरू होने से पहले ही करोड़ों की खरीदी गयी गयी। 2016 में निविदा निकाला गयी थी। इस टेंडर में बोली लगाने वाली कंपनी ने समान का सप्लाई नहीं किया। नियम के मुताबिक उस कंपनी को तुरंत ब्लैक लिस्टेड करना था, लेकिन उसी कंपनी को दोबारा से ठेका दे दिया गया। इस दौरान सीएजी ने डमी टेंडर कंपनी के बारे में भी जानकारी जुटायी, जो ज्यादा कीमत की बोली लगाती थी, ताकि दूसरे को टेंडर मिल जाये। साल 2016 से 2018 के बीच 110 बेसिक डेंटल चेयर, 15 एडवांस डेंटल चेयर, 1 मोबाइल डेंटल वैन और 10 आरवीजी की खरीदी की गयी थी। जिस बेसिक डेंटल चेयर की बाजार में कीमत 4 लाख रूपये हैं, वो 14 लाख रुपये में खरीदी गयी है। वहीं 6.5 लाख की एडवांस डेंटल चेयर को 42.85 लाख रूपये में खरीदा गया। आपरेशन थियेटर बना नहीं, लेकिन उसकी साफ सफाई के लिए 17 लाख का कीटनाशक खरीद लिया गया। जो बिना इस्तेमाल के एक्सपायर हो गया। 1.94 करोड़ के ओटी के उपकरण बेकार पड़े थे। लेट लतीफी की वजह से आपूर्तिकर्ता कंपनी पर दो करोड़ से ज्यादा का पेनाल्टी लगना था, लेकिन वो भी नहीं लगाया गया।

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में राजस्व अधिशेष में वृद्धि हुई है और राजकोषीय घाटे में कमी आयी है. लेकिन दूसरी ओर राज्य में 31 मार्च 2021 तक 88047.48 करोड़ की राशि के 34017 उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) 2020-21 तक विभिन्न विभागों के पास बकाया था. वहीं 31 मार्च 2021 को, 2020-21 तक आहरित AC विपत्र के विरुद्ध भारी मात्रा में 6018.98 करोड़ का डीसी विपत्र (18272) जमा नहीं किया गया है. 

48.37 प्रतिशत राशि तो खर्च ही नहीं हुई

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों (2017-21) में विभाग को पर्यटन के विकास को लेकर दी गई राशि में 48.37 प्रतिशत राशि खर्च ही नहीं हुई। वर्ष 2018-19 से 2020-21 के अंकेक्षण में यह बात सामने आई कि प्रमुख योजनाओं के लिए आवंटित 329.70 करोड़ रुपये में से 248.97 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं हुए। राशि का उपयोग नहीं होने से प्रमुख योजनाएं अधूरी रह गईं। वर्ष 2020-21 के दौरान ही पर्यटन विकास को लेकर दिए गए 194.49 करोड़ रुपये में 97.07 करोड़ रुपये सरेंडर हो गए थे। रजरप्पा महोत्सव में घोटाले की आशंका व्यक्त की गई है। इसमें कहा गया है कि इसके इवेंट मैनेजमेंट के लिए नियुक्त एजेंसी ने कई वाहनों के उपयोग का बिल चौपहिया का दिया, जबकि अंकेक्षण में वे सारे वाहन दोपहिया पाए गए। 

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