केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 3 बड़ी खबरें: 8वें वेतन आयोग के ToR में उठे सवाल…पेंशन और DA पर बढ़ी चिंता…
8th CPC के ToR में अस्पष्टता ने बढ़ाई केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की बेचैनी, संसद के शीतकालीन सत्र में होगा बड़ा मुद्दा

नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) के टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस (ToR) को लेकर असमंजस बढ़ गया है। विभिन्न कर्मचारी यूनियनों ने सरकार को पत्र लिखकर वेतन संशोधन, पेंशन व्यवस्था, NPS/UPS प्रावधान, महंगाई भत्ते (DA), दया नियुक्ति और ट्रेड यूनियन अधिकार जैसी महत्वपूर्ण बिंदुओं की कमी या अस्पष्टता पर चिंता जताई है।
संसद में चर्चा की संभावना:
1 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बन सकता है। कई सांसद सरकार से सवाल पूछने वाले हैं, जैसे कि क्या 8वें वेतन आयोग के ToR से पेंशन संशोधन हटा दिया गया है। पहले के आयोगों में पेंशन संशोधन स्पष्ट रूप से शामिल होता था, लेकिन इस बार इसकी अनुपस्थिति ने पेंशनभोगियों में चिंता बढ़ा दी है।
DA और DR मर्जर पर नजर:
कर्मचारी संगठनों का मानना है कि महंगाई भत्ता (DA) और पेंशन का महंगाई भत्ता (DR) बेसिक पे में मर्ज किया जाना चाहिए। वर्तमान में DA 50% से अधिक है और महंगाई दर ऊँची बनी हुई है। यदि DA-DR मर्जर तुरंत लागू हो जाता है, तो यह कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए तत्काल राहत का माध्यम बन सकता है। वित्त मंत्रालय 2 दिसंबर को इस पर आधिकारिक जवाब देगा।
पेंशनभोगियों की चिंता:
लगभग 69 लाख पेंशनभोगी अपनी पेंशन संशोधन पर निर्भर हैं। अगर पेंशन संशोधन आयोग के दायरे से हटा दिया जाता है, तो पेंशन संरचना में बड़े बदलाव आ सकते हैं और पुराने तथा नए पेंशनभोगियों के बीच आय का अंतर बढ़ सकता है। ToR में इस्तेमाल की गई भाषा जैसे “unfunded cost of non-contributory pension schemes” यह संकेत देती है कि सरकार सामाजिक सुरक्षा के बजाय वित्तीय बोझ को प्राथमिकता दे सकती है।
कर्मचारी यूनियनों और पेंशनभोगियों की नजर अब सरकार के जवाब और 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट पर टिकी है, जो उनके भविष्य के वेतन और पेंशन को सीधे प्रभावित करेगी।









