जालंधर। 2 IAS अफसरों को राज्य सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। पंजाब सरकार ने सभी पंचायतें समय से पहले भंग करने की नोटिफिकेशन वापस लेने के मामले में ये कार्रवाई की है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आज के फैसले के बाद पंचायत विभाग के प्रधान सचिव धीरेंद्र तिवारी और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक गुरप्रीत सिंह खैहरा को निलंबित कर दिया है।

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दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पंजाब की पंचायतें भंग करने के खिलाफ दायर PIL पर सुनवाई की गई। पंजाब सरकार के चीफ सेक्रेटरी ने हाईकोर्ट को राज्य सरकार द्वारा पंचायतें भंग करने की नोटिफिकेशन वापस लिए जाने की जानकारी दी। क्योंकि यह नोटिफिकेशन गैरकानूनी साबित हुई।
पंजाब सरकार ने ग्राम पंचायतों को पंजाब पंचायती राज एक्ट 1994 की धारा 29-ए के अधीन करके भंग किया था। राज्य सरकार द्वारा पंचायती रिकॉर्ड को सहेजकर सुरक्षित रखने के लिए सामाजिक शिक्षा एवं पंचायत अफसर, पंचायत अफसर, जूनियर इंजीनियर और ग्रामीण विकास अफसर बतौर प्रबंधक नियुक्त किए गए।

बता दें कि आज दोपहर पंजाब सरकार ने सभी पंचायतें भंग करने का फैसला वापस ले लिया है। राज्य सरकार अगले 1-2 दिन में अधिसूचना वापस ले लेगी। पंचायतों को भंग करने के मामले पर वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस बीच पंजाब के मुख्य सचिव ने आदेश वापस लेने की जानकारी दी थी। इससे पहले हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस अधिकार के तहत पंचायतों को भंग करने का फैसला लिया गया।

पंजाब सरकार हाईकोर्ट में ऐसा कोई आधार नहीं बता सकी जिससे स्पष्ट हो पाता की सभी पंचायतें समय से पहले भंग करने की जरूरत क्यों पड़ी। हाईकोर्ट द्वारा इस मामले पर पंजाब सरकार को फटकार भी लगाई गई थी।गौरतलब है कि पंचायतों का कार्यकाल फिलहाल छह महीने शेष है। हालांकि पंजाब सरकार द्वारा जारी पंचायतों के चुनाव संबंधी दूसरी नोटिफिकेशन फिलहाल मान्य है।

बता दें कि पंजाब सरकार ने 10 अगस्त 2023 को सभी पंचायतें भंग करने संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया था। इस फैसले को लोकहित में बताया गया, लेकिन पटियाला समेत अन्य जिला ग्राम पंचायतों की ओर से दायर याचिका में राज्य सरकार के नोटिफिकेशन को गैर-कानूनी और अनुचित बताया गया।

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