रांची। स्थानीयता के मुद्दे पर झारखंड एक बार जल चुका है ! लिहाजा, इस बार स्थानीय नीति को लागू करते वक्त सरकार हर तबके का ख्याल करने की तैयारी में है। झारखंड मंत्रालय में इस बाबत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर उच्चस्तरीय बैठक मंत्री आलमगीर आलम की अध्यक्षता में हुई। इसमें सत्तारूढ़ दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। बैठक में राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, विधायक स्टीफन मरांडी, प्रदीप यादव, अंबा प्रसाद, सरफ़राज़ अहमद, पूर्व विधायक सुखदेव भगत, बंधु तिर्की और योगेंद्र प्रसाद शामिल हुए।

खबर है कि इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों की सहमति ली गयी। जानकारी के मुताबिक भूमिहीनों के लिए भी प्रावधान किया जाएगा, वहीं जहां देर से यानी 1932 के बाद जमीन का सर्वे हुआ है उन क्षेत्रों का ख्याल रखा जायेगा और ग्रामसभाओं के जरिए भी सत्यापन होगा। ज्यादा चुनौती उन क्षेत्रों के लिए थी, जहां 1932 के बाद जमीन का सर्वे हुआ है। निर्णय किया गया कि इस संबंध में निर्देश जारी किया जाएगा। कोल्हान समेत राज्य के ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां 1932 के बाद जमीन का सर्वे हुआ है। 1932 के सर्वे के आधार पर स्थानीयता का निर्धारण करने के बाद इन क्षेत्रों में इसे लेकर मांग भी बड़े पैमाने पर आए थे।

बैठक में ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने संबंधी प्रस्ताव को लेकर भी विमर्श हुआ। इसमें प्रस्ताव संविधान के नौवें शिड्यूल के तहत भेजने पर आपत्ति उठी। कहा गया कि इससे पिछड़ा वर्ग को फायदा नहीं होगा। बेहतर होगा कि इससे संबंधित विधेयक पारित किया जाए। उल्लेखनीय है कि आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को राज्य मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिल चुकी है।

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