लखनऊ। राज्य सरकार ने 12 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है। शिक्षक नियुक्ति फर्जीवाड़ा मामले में विभाग ने ये कार्रवाई की है। खबर है कि कुछ और भी शिक्षकों पर जल्द ही गाज गिर सकती है। पूरा मामला फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी पाने का है। शिकायत होने पर जांच हुई, तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया। तत्कालीन बीएसए योगेंद्र कुमार ने शासन को रिपोर्ट दी थी। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव और शासन तक मामला पहुंचा। साथ ही लोक अदालत में भी शिकायत की गई थी।

दरअसल साल 2014-15 में राज्य में 15000 बेसिक शिक्षकों की भर्ती हुई थी। सहायक अध्यापक पद के लिए जिले के 12 लोगों ने भी आवेदन किया था। शर्तों के मुताबिक डीएड विशिष्ट बीटीसी आवेदन कर सकते थे। इनका विशिष्ट बीटीसी का परिणाम नहीं आया था, लेकिन इन्होंने परिणाम आने के दो दिन पहले ही खुद को विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षु दर्शा दिया। इसके फर्जी अंक भी भर दिए गए।शिकायत के आधार पर जिला व शासन स्तर से जांच कराई गई। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने पांच सितंबर,2023 को बीएसए को बर्खास्तगी की कार्रवाई करने को कहा था।

वर्ष 2014-15 में 12 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। आवेदन के वक्त इन्होंने विशिष्ट बीटीसी के फर्जी अंक भरे थे। आवेदन करने के बाद विभाग त्रुटि सुधारने को समय देता है। इसी का लाभ उठाकर परिणाम आने के बाद इन्होंने सही अंक भर दिए। जांच के दौरान पूरा मामला पकड़ में आ गया, जिसके बाद ये कार्रवाई की गयी है।

इन शिक्षकों को किया गया बर्खास्त
बीएसए अजीत कुमार ने प्राइमरी विद्यालय खानपुर बिलारी के अजय कुमार, प्राइमरी विद्यालय कौंदरी की शिखा, प्राइमरी विद्यालय रामनगर गंगपुर के गोविंद रस्तोगी, प्राइमरी विद्यालय एहलादपुर के ऋषिपाल सिंह, प्राइमरी विद्यालय खानपुर मूंढापांडे के पंकज कुमार, प्राइमरी विद्यालय जैतिया सादुल्लापुर में तैनात विनीत यादव समेत 12 सहायक अध्यापकों को बर्खास्त कर दिया है। आवेदन के वक्त जिले में मुन्ने अली बीएसए थे, जबकि नियुक्ति के समय कांता प्रसाद बीएसए जिले में तैनात थे।

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