Sharad Purnima 2022: आश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।यह सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा में से एक मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा की कलाएं पूर्ण होती हैं और अमृत बरसाने वाली मानी जाती है। यही वजह है कि देश और दुनिया में शरद पूर्णिमा को एक विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है और सभी जगह इस दिन विभिन्न प्रकार के उपक्रम आयोजित होते हैं।इस दिन दान पुण्य करना और पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी माना जाता है।
शरद पूर्णिमा शुभ मुहुर्त 2022
शरद पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है।इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होता है। इस वजह से रात के समय में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखते हैं, ताकि चंद्रमा की किरणें उसमें पड़ें। माना जाता है कि इस दिन चन्द्रमा से रात्रि में अमृत
पौराणिक कथा
एक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी।
उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।
उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। बाद में उसे एक लड़का पैदा हुआ। जो कुछ दिनों बाद ही फिर से मर गया। उसने लड़के को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया। फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पाटा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया।
बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है।
ऊसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।
खीर के रूप में पाएं अमृत
मान्यता है कि, शरद पूर्णिमा के दिन अमृत वर्षा होती है।शरद पूर्णिमा की रात चावल की खीर बनाकर उसे महीन कपड़े या छलनी से ढ़ककर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि दूध, चावल और शक्कर तीनों ही चीजें मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय हैं। इसलिए मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खीर का भोग लगाएं। अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद परिवार के सदस्यों में ये खीर प्रसाद स्वरूप बांट दें।खीर को लेकर मान्यता है कि इसे खाने से स्वास्थय रूपी संपदा और आरोग्य रूपी वरदान की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी का वास होता है।
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